भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर का असर कम पड़ता दिख रहा है। खासकर महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे महाराष्ट्र में तो हालात तेजी से सुधरते दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि ऐसा राज्य में लोगों की जबरदस्त टेस्टिंग और ट्रेसिंग के जरिए किया गया। हालांकि, अब टेस्टिंग की प्रक्रिया में भी गड़बड़ियों का खुलासा होने लगा है। नागपुर महानगरपालिका (NMC) ने हाल ही में शहर के एक अस्पताल को 92 मरीजों को 10 लाख रुपए लौटाने का निर्देश दिया है। बताया गया है कि इन सभी मरीजों से टेस्टिंग के लिए अलग-अलग रकम हड़पी गई थी।

नागपुर म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने इस गड़बड़ी को लेकर अस्पताल पर कार्रवाई करने का भी फैसला किया है। NMC की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि निजी अस्पताल के खिलाफ अब आपदा और महामारी प्रबंधन कानून के तहत केस चलेगा। इसके अलावा उस पर महाराष्ट्र आवश्यक सेवा संशोधन कानून के तहत भी कार्रवाई की जाएगी।

NMC के अतिरिक्त कमिश्नर जलज शर्मा की ओर से जारी नोट में कहा गया, “शहर के रेडियंस अस्पताल ने कथित तौर पर कोविड वॉर्ड में भर्ती 92 मरीजों से एक ही टेस्ट के लिए अलग-अलग दाम वसूले।” उन्होंने बताया कि एनएमसी ने अस्पताल को 20 मई को ही इस मामले में पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया था। लेकिन अस्पताल ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद एनएमसी ने आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया।

शर्मा ने बताया कि 25 मई को कमेटी ने रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “इस रिपोर्ट से सहमत होने के बाद हमने अस्पताल को मरीजों के 10 लाख 32 हजार 243 रुपए लौटाने के निर्देश दिए। निर्देश के मुताबिक, यह सीधे मरीजों को या उनके रिश्तेदारों को सात दिन के अंदर लौटाए जाने चाहिए।”

इसी नोट में आगे कहा गया कि अस्पताल पर आपदा और महामारी प्रबंधन कानून के तहत केस चलेगा। इसके अलावा उस पर महाराष्ट्र आवश्यक सेवा संशोधन कानून, बॉम्बे नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन एक्ट, बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट और अन्य कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी।