UK Farmers Visits Punjab: भारत के पंजाबी किसानों और यूनाइटेड किंगडम के किसानों में भले ही खेती के तरीकों में काफी अंतर हो, लेकिन खेती-किसानी से जुड़े मुद्दों को लेकर दोनों ही जगह के किसान एक जैसे हालात का सामना करते हैं। खेती से घटते मुनाफे, बढ़ते कर्ज का दबाव, खेती से जुड़े कामों में घटते लोग, किसानों की खुदकुशी और मौसम की मार ऐसे कुछ मुद्दे हैं जिनसे दोनों ही देशों के किसानों को जूझना पड़ता है।

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केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने किया UK के किसानों का सम्मान

इन सबके बीच यूके के 22 किसानों का एक दल जिनमें महिला किसान भी शामिल हैं पंजाब के दौरे पर आया हुआ है। यूके के किसान यहां खेती के तरीके, बागवानी और डेयरी से जुड़े मामलों को जानने के लिए पहुंचे हैं। इस दल को केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने सम्मानित भी किया है। दुनिया भर में किसानों से जुड़े मुद्दे के जानकार और एक दशक से पर्यटन मंत्रालय की ओर से कृषि से जुड़े पर्यटन का प्रतिनिधित्व करने वाले मुनीश बख्शी ने बताया कि हम सब फसलों में रासायनिक खादों के कम इस्तेमाल के लिए काम कर रहे हैं।

होशियारपुर के छौनी कलां गांव में ठहरे थे UK के किसान

यूके के किसानों ने वहां के बारे में कहा, “हमने भी अब अपनी फसलों पर रसायनों का उपयोग कम कर दिया है। साथ ही, हम मवेशियों के चारे और बिस्तर के लिए पूरे गेहूं के पूरे डंठल का उपयोग कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यूके में भई मुख्य फ़सलें वसंत और जाड़े का गेहूं, जौ, जई, तिलहन, मक्का, आलू और सब्जियां हैं। वहां की ज्यादातर खेती बारिश पर निर्भर है और वहां धान नहीं लगता है। पंजाब में सोमवार को यूके के किसानों की टीम का तीन दिवसीय दौरा समाप्त हुआ। किसानों के दल होशियारपुर के छौनी कलां गांव स्थित साइट्रस काउंटी में ठहराए गए थे।

पंजाब में भी डेयरी फार्मिंग में तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ा

विदेशी किसानों के दल के सदस्य ब्रायन विल्सन और उनकी पत्नी सैली जोन्स दोनों ब्रिटेन में कृषि से जुड़े हैं। द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनका परिवार दशकों से डेयरी के कारोबार में भी है। उन्होंने कहा, “हमारे पास 180 मवेशियों (मुख्य रूप से गायों) के साथ एक डेयरी फार्म है। वहां वर्षों से मवेशियों को पालने की लागत बढ़ रही है और मुनाफा कम हो रहा है। हमें अपने उत्पादों के लिए वाजिब कीमत नहीं मिल रही है। यूके में भी कई किसान भारी कर्ज में डूबे हुए हैं।” उन्होंने कहा कि पंजाब की तुलना में यूके में डेयरी फार्मिंग काफी उन्नत है, लेकिन उन्होंने देखा कि यहां भी बहुत सारी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।

यूके में आवारा मवेशियों की तरह नहीं छोड़ी जाती गायें

ब्रायन विल्सन ने कहा, “हमारे डेयरी उत्पादों को बेचने के लिए न तो किसी तरह की सहायता और न ही सरकार द्वारा कोई वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। क्योंकि वे हमारे निजी उद्यम हैं और हमें अपने दम पर जीवित रहना है।” भारत की तरह हमारी अनुत्पादक गायें ‘आवारा मवेशियों’ के रूप में नहीं छोड़ी जाती हैं। उन्हें उचित घरों में रखा जाता है। ऐसा करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है।

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भारत और यूके में लगभग बराबर है गेंहू का न्यूनतम समर्थन मूल्य

अन्य किसानों एलिसन विल्सन ने बताया कि उनके पास यूके में 400 हेक्टेयर खेत है। वे मुख्य रूप से एक छोटे से इलाके में कुछ अन्य फसलों के अलावा गेहूं उगाते हैं। उन्होंने कहा, “यूके में गेहूं नौ महीने की फसल है और वे जाड़े के महीनों में अक्टूबर-नवंबर में इसकी बुवाई और अगस्त में इसकी कटाई करते हैं।” दूसरे किसान अलुन जोन्स और उनकी पत्नी ने कहा, “मैं अपने खेत से एक साल में एक फसल गेहूं उपजाता हूं। गेहूं की उपज 10,000 किलोग्राम (100 क्विंटल या 10 टन) प्रति हेक्टेयर और इसकी कीमत लगभग 240 पाउंड प्रति टन है।”

भारत में अधिकतम गेहूं उत्पादकता पंजाब में दर्ज की जाती है, जो मौसम के अनुकूल होने पर प्रति हेक्टेयर लगभग 5 टन (50 क्विंटल) गेहूं उत्पादन का रिकॉर्ड बनाता है। यह यूके के उत्पादन का आधा है। साथ ही, यहां केंद्र द्वारा घोषित गेहूं की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है। भारतीय मुद्रा में देखें तो यूके में यह 2,400 रुपये प्रति क्विंटल है।

यूके में भी किसानों की खुदकुशी, श्रम की कमी बड़ी समस्या

एलुन जोन्स ने कहा कि यूके में भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं। क्योंकि वहां श्रम एक बड़ी समस्या है और छोटे खेत व्यवहारिक तौर पर मुनाफे वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि 40 हेक्टेयर से कम भूमि वाले किसानों को यूके में छोटा किसान माना जाता है। वहीं भारत में 2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले किसानों को छोटा किसान माना जाता है। एलुन जोन्स इस बात से हैरान थे कि 2 हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसान अपने परिवार के लिए जीविकोपार्जन कैसे कर सकते हैं।

यूके में कर्ज चुकाना पूरी तरह से किसानों की जिम्मेदारी

एलुन जोन्स ने कहा, “यूके में श्रम की कमी के कारण, मशीनों की आवश्यकता होती है और वो बहुत महंगी होती हैं। बड़े किसान भी कर्ज में डूबे हुए हैं। चूंकि छोटे किसान बड़ी मशीनें नहीं खरीद सकते, इसलिए उनमें से कई खेती छोड़ रहे हैं। कई किसान आत्महत्या भी कर रहे हैं। क्योंकि वे किसी न किसी कारण से खेती जारी रखने में सक्षम नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि यूके में कर्ज चुकाना पूरी तरह से किसानों की जिम्मेदारी है। वहां सरकार कोई छूट नहीं देती है। साथ ही पिछले कुछ वर्षों में जलवायु में परिवर्तन के कारण अब खेती एक कम लाभदायक व्यवसाय बनता जा रहा है।

एलुन जोन्स ने कहा कि कम से कम छोटे किसानों को सरकार द्वारा समर्थन मिलना चाहिए ताकि लोगों को खेती के व्यवसाय में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

भविष्य में दोनों देशों के बीच किसानों की यात्रा बढ़ाने की योजना

यूनाइटेड किंगडम के किसानों के दल ने शनिवार और रविवार को छौनी कलां गांव में स्थानीय डेयरी फार्म और पंजाब सरकार के स्वामित्व वाली साइट्रस एस्टेट का दौरा किया। उन्होंने छौनी कलां गांव के अहलूवालिया परिवार के खट्टे फलों के बागों का भी दौरा किया। छौनी कलां के साइट्रस काउंटी के हरकीरत सिंह अहलूवालिया ने कहा कि यूके के किसानों की मेजबानी करना एक शानदार अनुभव था। क्योंकि एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने बताया, “कुछ साल पहले उनके खेत में भी ऐसी ही एक यात्रा का आयोजन किया गया था। भविष्य में वे यूके से और यहां से यूके के लिए किसानों की ऐसी और यात्राएं आयोजित करना चाहेंगे ताकि कृषि-व्यापार की कई संभावनाओं पर चर्चा कर उन्हें क्रियान्वित किया जा सके।