Dussehra 2019: गुजरात के सूरत में हीरों के एक कारोबारी की अजीबोगरीब कहानी सामने आई है। अंधविश्वास को चुनौती देने के लिए बाबू वघानी नाम के इस शख्स के जमकर चर्चे हैं। अपने घर, बच्चों आदि के नामों और अपने कई फैसलों को लेकर बाबू भाई कई सालों से समाज में चर्चा का विषय बने हुए हैं। आप जैसे-जैसे उनकी कहानी के बारे में जानेंगे, वैसे-वैसे आपकी हैरानी बढ़ती जाएगी। दशहरे के मौके पर इस कहानी का जिक्र इसलिए खास हो जाता है, क्योंकि उनके एक बेटे का नाम रावण (Ravan) है। यह नाम आपको थोड़ा चौंका सकता है लेकिन यहां से कहानी की शुरुआत होती है, बाबू भाई के पास ऐसे नामों और कारनामों की फेहरिस्त लंबी है।
घर का नाम भी अजीबोगरीबः बाबू भाई ने अपने पहले बच्चे का नाम रामायण के विलेन रावण के नाम पर रखा, इसके बाद जब दूसरा बेटा हुआ तो उसे उन्होंने महाभारत का विलेन चुन लिया। दूसरे बेटे का नाम उन्होंने दुर्योधन रखा, वही शख्स जिसे आप द्रौपदी पर बुरी नजर रखने वाले के रूप में जानते हैं। बाबू भाई यहीं नहीं रूके। उन्होंने अपने घर का नाम ‘मृत्यु’ रखा।
‘रावण का नहीं, अंधविश्वासों का पुतला जलाओ’: मूल रूप से भावनगर के रहने वाले बाबू भाई 8वीं तक ही पढ़े हैं, लेकिन उन्हें तमाम धर्म ग्रंथों की बेहतरीन समझ है। टीओआई के मुताबिक उन्होंने लाओ सू, कन्फ्यूशियस, मूसा, मुहम्मद, शिंतो, जीसस, बुद्ध और महावीर सभी के दर्शन-शास्त्र को पढ़ा है। वे कहते हैं कि अंधविश्वासों की उनके जीवन में कोई जगह नहीं है और लोगों को रावण के बजाय अंधविश्वासों का पुतला जलाना चाहिए।
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सफल हीरा कारोबारी हैं बाबू भाईः तमाम अटपटे नामों को जिंदगी से जोड़ने वाले और घर को वास्तु के विपरीत बनाने वाले बाबू भाई सफल कारोबारी हैं। वे 1965 में सूरत आए थे, इसके बाद उन्होंने हीरों की पॉलिश से शुरुआत की और धीरे-धीरे अपना बड़ा कारोबार खड़ा कर लिया।
