राजधानी में डेंगू से दो और मौतों की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही डेंगू की चपेट में आए मरीजों की संख्या ने तीन सौ का आंकड़ा पार कर लिया है। इस बार अभी तक 311 मामलों की पुष्टि हुई है। निगम ने अब तक मरने वालों क ी जितनी संख्या की पुष्टि की है वास्तविक आंकड़े उससे अधिक हैं। एम्स के चिकित्सकों ने बताया कि दिल्ली में इस बार डेंगू से ज्यादा चिकनगुनिया ने अपना कहर बरपाया है। इस बार के अभी तक के आए मामलों के हिसाब से अस्पताल प्रशासन से बिस्तरों, प्लेटलेट्स और खून के इंतजाम के लिए व्यापक प्रबंध करने को कहा गया है। एक ओर अस्पताल परिसर में डेंगू के लार्वा पाए जाने पर स्थानीय निकायों की ओर से नोटिस जारी किया जा रहा है दूसरी ओर बिस्तरों के इंतजाम रखने की हिदायत दी जा रही है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में 17 साल की लड़की फहीन और सफदरजंग अस्पताल में बदरपुर निवासी एक मरीज की मौत डेंगू से हुई। इसकी पुष्टि दिल्ली नगर निगम ने इसकी सोमवार की है।

एम्स के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के डॉ विश्वजीत चटर्जी ने बताया कि इस समय एम्स में करीब सौ मरीज डेंगू व 100 मरीज चिकनगुनिया क ी चपेट में हैं और यहां के विभिन्न वार्डो में भर्ती कर उनका इलाज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस बार राजधानी में डेंगू से ज्यादा चिकनगुनिया के मामले आ रहे हैं। हालांकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक चिकनगुनिया के केवल 20 मामले आए हैं। जबकि केवल एम्स में ही इसके 100 से ज्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है।

राजधानी में डेंगू का डंक थमने का नाम नहीं ले रही है। नगर निगम ने सोमवार को माना है कि इस साल डेंगू से दो मौत हुई है। जिसमें एक दिल्ली का जबकि दूसरा दिल्ली के बाहर का व्यक्ति है। इस साल अब तक इस बुखार की चपेट में 311 लोग आ चुके है। पिछले एक सप्ताह के दौरान डेंगू के 83 मामले आए हैं। दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम के साथ ही नई दिल्ली नगर पालिका परिषद ने राष्ट्रपति भवन को भी 52 नोटिस भेजने का दावा किया है। दिल्ली नगर निगम की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 20 अगस्त तक कुल मामलों में 162 दिल्ली के हैं और 149 अन्य राज्यों के हैं। एक मृतक दिल्ली का है और एक राजधानी से बाहर का है। पिछले साल इस दौरान 491 लोग दिल्ली में डेंगू से पीड़ित हुए थे और 39 मामले दिल्ली से बाहर के थे।

क्या कहते हैं डाक्टर?
डॉक्टरों का कहना है कि चिकनगुनियां के मामलों में इस बार बढ़ोतरी हुई है, हालांकि यह जानलेवा नहीं है। तमाम तरह के मामलों और लक्षणों के हिसाब से देखा जाए तो चिकनगुनिया में परेशानी ज्यादा होती है। सबके बावजूद लोगों को ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। बीमारी के दौरान अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं और न ही किसी बड़े इलाज की। इसमें शरीर में तरल पेय की मात्रा बढाÞने के साथ ही बुखार के लिए क्रोसिन दी जाती है। मरीज के प्लेटलेट्स की जांच रोजाना कराने की भी जरूरत नहीं है। चिकुनगुनिया बुखार के साथ जोड़ों संबंधी दिक्कतें अधिक होती हैं।

चिकनगुनियां के प्रभाव
– चिकनगुनियां का बुखार ठीक होने के बाद भी दो से तीन हफ्ते तक जोड़ों में दर्द रहता है।
– एक बार बुखार होने के बाद दोबारा होने की आशंका चालीस फीसद ही रहती है।
– जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ हल्के दवाब से रक्त बहाव रहता है।
– बुखार खत्म होने के बाद कुछ समय तक फिजियोथेरेपी कराना होता है जरूरी है।
– चिकुनगुनिया बुखार अपंगता का कारण भी बन सकता है।