उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में डॉन से नेता बने हरिशंकर तिवारी की मूर्ति के लिए बनाए गए चबूतरे को गिराए जाने से विवाद खड़ा हो गया है। कहा जा रहा है कि यह योगी आदित्यनाथ और तिवारी परिवार के बीच पुरानी दुश्मनी फिर से उभर आई है। भाजपा के लिए सबसे चिंता की बात यह है कि इससे उत्तर प्रदेश में ठाकुरों के खिलाफ ब्राह्मणों के गुस्से को हवा मिलने का खतरा है। माना जाता है कि पिछले साल 16 मई को हरिशंकर तिवारी की मौत के बाद यह संघर्ष खत्म हो गया था। लेकिन अब सात बार विधायक और पूर्व मंत्री रहे तिवारी की उनके पैतृक गांव टांडा में लगी मूर्ति के लिए बनाए गए चबूतरे को गिराने की प्रशासन की कार्रवाई ने इस टकराव को फिरसे हवा दे दी है।

सपा ने लगाया जातिवाद का आरोप

समाजवादी पार्टी इस पूरे मामले में योगी सरकार पर जातिवाद का आरोप लगा रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मामला सामने आने के एक दिन बाद 1 अगस्त को सोशल मीडिया पर लिखा, “बुलडोजर अब तक दुकानों या घरों को निशाना बनाता था। अब इसने मृतकों की इज्जत पर भी हमला करना शुरू कर दिया है।”

अखिलेश लगातार चबूतरे के पुनर्निर्माण की मांग कर रहे हैं। वह सोमवार को तिवारी की जयंती पर टांडा आने का अपना वादा पूरा नहीं कर सके लेकिन उन्होंने विपक्ष के वरिष्ठ सपा नेता माता प्रसाद पांडे को भेजा। तिवारी के बेटे भीष्म शंकर उर्फ ​​कुशल और विनय शंकर दोनों भी इस दौरान मौजूद थे।

केशव प्रसाद मौर्य ने कहा-गोरखपुर वाले जानें

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी इस विवाद में भी कूद पड़े हैं। मूर्ति विवाद के बारे में पूछे जाने पर मौर्य ने कहा, “गोरखपुर वाले जानें यार, यह सरकार का मामला नहीं है।” इसे उनकी सीएम योगी के साथ चल रही अंदरखाने की खटपट से जोड़कर देखा जा सकता है।