राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली चिड़ियाघर) में बंगाल टाइगर के शावकों की लगातार हो रही मौत ने प्रशासन और वन्यजीव विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। चार अगस्त को टाइग्रेस ‘अदिति’ ने छह शावकों को जन्म दिया था, लेकिन अब तक पांच की मौत हो चुकी है। मौत का कारण जन्म के समय कम वजन और संभवत: हवा में फैला कोई संक्रमण माना जा रहा है।
चिड़ियाघर प्रशासन के अनुसार, जन्म के समय केवल एक शावक का वजन एक किलोग्राम था, जबकि बाकी पांच शावक महज 650 से 700 ग्राम के थे। चिड़ियाघर के निदेशक संजीत कुमार का कहना है कि जब शावकों का जन्म वजन एक किलो से कम होता है, तो उनके जीवित रहने की संभावना बेहद कम हो जाती है। 15 अगस्त को शावकों ने दूध पीना बंद कर दिया और उन्हें तेज बुखार हो गया। उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां विशेषज्ञों की निगरानी में इलाज हुआ, लेकिन लगातार गिरते वजन और शरीर की कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण उन्हें नहीं बचाया जा सका।
कर्मचारियों की भारी कमी से जूझ रहा चिड़ियाघर
प्रशासन ने आशंका जताई है कि हवा में कोई अज्ञात संक्रमण हो सकता है, जिसकी चपेट में ये शावक आ गए। फिलहाल, बचे हुए एक शावक को संक्रमण से बचाने के लिए मां से अलग रखा गया है। शावकों के सैंपल जांच के लिए इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट, बरेली भेजे गए हैं, जहां से मंगलवार तक रपट आने की उम्मीद है। रपट के बाद ही मौत की असली वजह का पता चल पाएगा।
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संजीत कुमार ने बताया कि चिड़ियाघर में कर्मचारियों की भारी कमी भी एक बड़ी समस्या है। वर्तमान में चिड़ियाघर के पास केवल 109 कर्मचारी हैं, जबकि 207 कर्मचारियों की आवश्यकता है। एनिमल कीपर, सफाईकर्मी, लैब अटेंडेंट और वेटनरी स्टाफ जैसे जरूरी पद खाली पड़े हैं। इससे जानवरों की देखभाल और स्वच्छता जैसे बुनियादी कामों पर असर पड़ रहा है।