राजधानी दिल्ली में महिलाओं की आवाज उठाने वाला दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्लू) पिछले लगभग एक साल से निष्क्रिय पड़ा है, जिससे महिलाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई और सहायता सेवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। आयोग में सदस्यों की कमी के कारण ‘रेप क्राइसिस सेल’, ‘ट्रांसजेंडर सेल’, ‘एसिड अटैक विक्टिम सेल’ सहित हेल्पलाइन के बुरे हालात हैं। कर्मचारियों की कमी झेल रहे डीसीडब्लू में लंबे समय से सदस्य नहीं है। जबकि मई 2025 में राष्ट्रीय महिला आयोग व मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की ओर से डीसीडब्लू के पुनर्गठन की घोषणा की थी लेकिन अभी तक मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।

अब दिल्ली पुलिस पर भी कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा है

एक साल पहले तक दिल्ली में महिलाओं व बच्चियों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न, दहेज मामले या एसिड अटैक के दौरान डीसीडब्लू दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जल्द मामले को सुलझाने का दबाव बनाती थी लेकिन बीते एक साल से देखने को मिला है कि अब ऐसे मामलों पर कोई नोटिस या दबाव दिल्ली पुलिस पर नहीं बनाया जाता।

डीसीडब्लू में मामला दर्ज करवाने वाली एक शिकायतकर्ता ने बताया कि उनके साथ उनके कार्यालय में यौन उत्पीड़न किया गया था, जिसकी शिकायत के बाद कुछ दिन तक तो मामला तेजी से चला। लेकिन बीते डेढ़ साल तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। इसी तरह एक ओर शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने अपने ससुराल पक्ष के खिलाफ डीसीडब्लू में मामला दर्ज करवाया था लेकिन अभी तक वह लटका हुआ है। उन्हें ससुराल से निकाल दिया गया है लेकिन डीसीडब्लू कार्रवाई ही नहीं कर रहा।

दो महीने पहले मई में दिल्ली में महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए महा जनसुनवाई की शुरुआत की गई थी। इसकी पहल राष्ट्रीय महिला आयोग ने की थी। इसका उद्घाटन राज्य की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने किया था। वह स्वयं एक वक्त राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। यह महा जनसुनवाई 5 दिन तक चली थी। इसके तहत सभी पेंडिंग मामलों पर क्विक एक्शन लेने की बात कही गई थी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसे एक अच्छी शुरुआत बताई थी।