बीते 14 वर्षों से लंबित प्रोन्नति (एरियर) और बीते चार महीने से रुके हुए वेतन मामले में लगातार हो रही विसंगतियों के नाम पर स्वामी दयानंद अस्पताल के चिकित्सकों ने हड़ताल की हुई है। इस बाबत निगम महापौर, स्थाई समिति के अध्यक्ष व जोन अध्यक्ष से लेकर आयुक्त शनिवार को फैसला लेंगे। शुक्रवार को मिले सकारात्मक आश्वासन के बाद विशेष जीबीएम बुलाकर चिकित्सकों ने अपने सभी मुद्दों पर चर्चा करने का निर्णय लिया है। चिकित्सकों का यह भी कहना है कि एक तरफ आश्वासन और दूसरी तरफ बर्खास्तगी के निर्देश निगम की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाते रहे हैं।

चिकित्सकों के संघों के वरिष्ठ पदाधिकारी केपी रवानी ने बताया कि निगम के आश्वासन में गंभीरता नहीं दिख रही है। आखिर 12 से 14 सालों से प्रोन्नति का बकाया नहीं देना तर्कसंगत है क्या? एलटीए, बच्चों के लिए, टेलीफोन, न्यूजपेपर और कांफ्रेस तक के एवज में मिलने वाली सुविधाएं तक ठप हैं।

सीनियर, जूनियर और यहां तक कि रिटायरमेंट के करीब आने वाले चिकित्सक अगर वेतन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हों तो फिर निगम और सरकार को अपनी कार्यशैली पर विचार करना चाहिए। हमें आश्वासन के साथ बर्खास्तगी की वैसी धमकियां दी जा रही है जिसे कहा जा रहा है कि अमलीजामा नहीं पहनाया जाएगा। फिर ऐसे आदेश निकालकर निगम प्रशासन क्या संदेश देना चाहते हैं।

महापौर ने की हड़ताल वापस लेने की अपील
महापौर स्थायी समिति के अध्यक्ष और शाहदरा उत्तरी क्षेत्र के अध्यक्ष शुक्रवार को स्वामी दयानंद अस्पताल गए और हड़ताल पर बैठे चिकित्सकों और पेरामेडिकल स्टाफ को आश्वस्त किया कि निगम उनकी मांगों को मानते हुए 15 दिन के भीतर उनका एक माह का वेतन दे देगा। महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने भी दयानंद अस्पताल के चिकित्सकों से हड़ताल वापस लेने की अपील की।

उन्होंने कहा कि अस्पताल पूर्वी दिल्ली और आस-पास के क्षेत्र के निम्न आय वर्ग और गरीब तबके के लोगों को सेवाएं उपलब्ध कराता है। यहां इलाज के लिए आने वाले लोग निजी अस्पतालों में इलाज करवाने की आर्थिक क्षमता नहीं रखते हैं।

स्थायी समिति अध्यक्ष बीर सिंह पंवार ने सभी कर्मचारियों से हड़ताल खत्म करने और काम पर लौटने की अपील की। पंवार ने बताया कि बातचीत सकारात्मक रूप से आगे बढ़ी और चिकित्सकों ने भी हड़ताल खत्म करने का आश्वासन दिया है।