दिल्ली सरकार ने समाज कल्याण विभाग में अदालतों में लंबित मामलों को लेकर कड़ा कदम उठाया है। अब अदालतों में मामलों की फाइलें अगली तारीख से कम से कम सात दिन पहले मुख्यालय भेजी जाएंगी। यह निर्णय उन अधिकारियों के खिलाफ सख्ती बढ़ाने के लिए लिया गया है, जो समय पर विभागीय मंजूरी नहीं भेजते और कोर्ट के सामने आधे अधूरे जवाब पेश करते हैं। इससे न केवल विभाग की छवि खराब हो रही थी, बल्कि कई मामलों में जुर्माना भी लग चुका है।

समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा अदालत में दायर किए गए हलफनामे, काउंटर रिप्लाई और अन्य जवाबों में अक्सर देरी हो रही थी। इसका परिणाम यह हुआ कि संबंधित अधिकारियों के पास आवश्यक फाइलों को देखने और उस पर उचित टिप्पणी करने का पर्याप्त समय नहीं होता। इसके परिणामस्वरूप अदालत में अधूरी दलीलें या हलफनामे पेश किए गए, जो विभाग के लिए संकट पैदा कर रहे थे।

अदालत में विभाग का बचाव सही तरीके से पेश किया जाए

समाज कल्याण विभाग में विशेष रूप से शिक्षा, आबकारी, बिक्री, और राजस्व मामलों की संख्या अधिक है, और इनसे जुड़े कई मामलों में लापरवाही सामने आई है। विभाग ने माना है कि जब फाइलों को देर से भेजा जाता है तो अधिकारियों को अदालती मामलों की गंभीरता से अवगत कराना मुश्किल हो जाता है। इस पर गंभीर विचार करते हुए विभाग ने यह सख्त कदम उठाया है।

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विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि भविष्य में किसी मामले में अधिकारी लापरवाही करते हैं तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मुख्य सचिव और निदेशक स्तर पर लगातार इस पर निगरानी रखी जाएगी। साथ ही, अदालत में विभाग का बचाव सही तरीके से पेश किया जाएगा, ताकि अदालत के फैसले में कोई गड़बड़ी न हो। समाज कल्याण विभाग की ओर से यह परिपत्र जारी किया गया है, और सभी विभागीय अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई है। विभाग का उद्देश्य अदालतों में लंबित मामलों को समय से निपटाना और सरकार की छवि को मजबूत करना है।