राजधानी दिल्ली में पार्किंग शुल्क की मनमानी वसूली और उससे जुड़े विवादों पर अब लगाम लगने की उम्मीद है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने पार्किंग व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, तकनीक आधारित और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए एप आधारित आधुनिक (हाईटेक) प्रणाली की शुरुआत की है। फिलहाल इसे कुछ चुनिंदा पार्किंग स्थलों पर प्रयोग के तौर पर लागू किया गया है। निगम का दावा है कि शुरुआती परीक्षण सफल रहने पर इसे पूरे शहर में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। नगर निगम को बीते कुछ वर्षों में लगातार यह शिकायतें मिल रही थीं कि कई पार्किंग ठेकेदार बिना पर्ची के और तय दरों से अधिक शुल्क वसूल रहे हैं।

वहीं, कुछ मामलों में झगड़े, मारपीट और आपराधिक वारदातें भी हुईं, जिनकी जड़ में पार्किंग शुल्क को लेकर हुए विवाद थे। दिल्ली के कई इलाकों में तो प्रति घंटे 100 से 200 रुपए तक की अवैध वसूली की शिकायतें भी आई हैं। इस समस्या का समाधान निकालते हुए एमसीडी ने एक ऐसी प्रणाली तैयार की है जो फास्टैग जैसी तकनीक पर आधारित है।

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एमसीडी के आरपी सेल (लाभकारी परियोजना) के अध्यक्ष प्रमोद गुप्ता ने बताया कि नई व्यवस्था में पार्किंग स्थलों पर क्यूआर कोड स्कैनर लगाए गए हैं। वाहन चालक को पार्किंग में प्रवेश करते समय मोबाइल से कोड स्कैन करना होगा, जिससे प्रवेश का समय स्वत: दर्ज हो जाएगा। निकास के समय दोबारा स्कैन करने पर एप उस अवधि के हिसाब से शुल्क प्रदर्शित करेगा, जिसे आनलाइन या आफलाइन माध्यम चुकाया जा सकता है। भुगतान के बाद डिजिटल रसीद भी मिल जाएगी।

इस डिजिटल प्रणाली से एक ओर जहां अवैध वसूली पर अंकुश लगेगा। वहीं पार्किंग संचालन में जवाबदेही और पारदर्शिता भी बढ़ेगी। प्रमोद गुप्ता ने बताया कि प्रत्येक वाहन के प्रवेश और निकास का रेकार्ड डिजिटल रूप में सुरक्षित रहेगा, जिससे निगरानी आसान हो जाएगी।

एमसीडी अधिकारी ने यह भी बताया कि आने वाले समय में बिना पर्याप्त पार्किंग सुविधा के चार पहिया वाहन खरीदने पर रोक लगाने पर भी विचार किया जा रहा है, ठीक वैसे ही जैसे दिल्ली में बिना हेलमेट पेट्रोल देने पर रोक है। फिलहाल यह एप आधारित पार्किंग व्यवस्था 10-15 दिनों के ट्रायल फेज में है। ट्रायल सफल रहने पर इसे दिल्ली की सभी पार्किंग साइट्स पर चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।