दिल्ली के कई स्कूलों में इस बार दिवाली को अनोखे ढंग से मनाया गया। बच्चों को यह बताया गया कि बाल दिवस समारोह तभी मनाया जाएगा, जब बच्चे खतरनाक पटाखे नहीं फोड़ेंगे, स्कूल के गलियारे में हवा को साफ रखने वाले पौधे लगाएंगे, मेडिकल रूम में मास्क रखेंगे। स्कूलों का कहना है कि लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए ऐसा किया गया है।
बच्चों को भी सलाह, पड़ोसी को भी समझाएं : सालवन पब्लिक स्कूल में प्रबंधन ने इसको कड़ाई से पालन कराया। दिवाली से पहले स्थानीय पुलिस ने भी बच्चों को पटाखे नहीं बजाने की सलाह दी। उनसे कहा गया कि अगर बच्चे घरों और स्कूलों में पटाखे बजाएंगे तो अगले महीने बाल दिवस समारोह नहीं आयोजित किया जाएगा। प्रिंसिपल इंदू खेत्रपाल ने कहा, ” यह साफ बताया गया कि पटाखे नहीं बजाना दोनों की जिम्मेदारी है। हमने उनसे कहा है कि पड़ोसी को भी ऐसा करने से रोकें।” खेत्रपाल ने कहा कि यह बहुत जरूरी है। अगले हफ्ते सालवन पब्लिक स्कूल में डॉक्टर भी हर कक्षा में जाएंगे। बच्चे उनसे अपनी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें बता सकते हैं।
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लंगर शैली में भोजन कर सीखा मिल बांटकर खाना : बाल भारती स्कूल द्वारका के बच्चों ने दिवाली को दूसरे तरीके से काम किया। प्रिंसिपल सुरुचि गांधी ने बताया, “हर क्लास को एक अलग आयटम दिया गया- पांचवीं कक्षा के बच्चों को कूकिंग ऑयल, छठी कक्षा को सूखी मिठाइयां, सातवीं कक्षा को साबूनदान गरीब बच्चों को बांटने के लिए कहा गया। हमने लंगर शैली में भोजन किया और लोगों को समझाया कि दिवाली लोगों को कुछ देने का त्योहार है, पटाखे फोड़ने का नहीं।”
प्रदूषण की वजह से अंदर होगी असेंबली : बुधवार को जब स्कूल खुलेंगे, तब दिल्ली की हवा में प्रदूषण को देखते हुए कई स्कूलों ने अपनी असेंबली बाहर करने की बजाए अंदर करने का निर्णय लिया है। स्कूल की तरफ से घर वालों को भी एडवायजरी भेजी गई है। इंडियन स्कूल की प्रिंसिपल तानिया जोशी ने बताया, “बच्चों को अंदर रखना कठिन है, लेकिन हमने एडवायजरी भेजकर कहा है कि बच्चों को अनावश्यक बाहर नहीं भेजें। शारीरिक कक्षा की कक्षाएं भी अंदर हाल में चलेंगी। हम बच्चों को जरूरत के समय हर वक्त मास्क्स देते हैं और घर वालों को भी कहा गया है कि वे बच्चों के लिए नेबुलाइजर साथ में भेजें। हम कारीडोर में हवा को साफ करने वाले पौधे भी रखते हैं।”