दिल्ली में स्कूल फीस को लेकर जारी बहस के बीच बीजेपी सरकार ने एक नया ड्राफ्ट बिल पेश किया है, जिसका मकसद प्राइवेट स्कूलों की फीस वृद्धि को रेगुलेट करना है। इस बिल के लागू होने के बाद दिल्ली के 1677 निजी स्कूलों के लिए मनमानी फीस बढ़ाना आसान नहीं रहेगा। कानून में फीस बढ़ाने से पहले कुछ गाइडलाइंस तय की गई हैं, जिसमें स्कूल स्तर पर एक कमेटी का गठन शामिल है।

कमेटी में स्कूल मैनेजमेंट का चेयरमैन, प्रिंसिपल, सचिव, जिला शिक्षा अधिकारी (DE) और ड्रॉ से चुने गए पांच पैरेंट्स होंगे। लेकिन आम आदमी पार्टी ने इस बिल को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है।

BJP सरकार और निजी स्कूल प्रबंधन के बीच मिलीभगत का लगाया आरोप

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या यह कानून बनाने से पहले दिल्ली के माता-पिता या आम नागरिकों से कोई सुझाव लिए गए? उन्होंने आरोप लगाया कि BJP सरकार और निजी स्कूल प्रबंधन के बीच मिलीभगत है।

भारद्वाज ने कहा कि बीजेपी की एक्शन कमेटी के चेयरमैन भारत अरोड़ा खुद पार्टी कार्यकारिणी के सदस्य हैं, इसलिए फीस बढ़ाने का फैसला पक्षपातपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि इस साल कई स्कूलों ने 40% से 82% तक फीस बढ़ाई, जिसे BJP सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से मंजूरी दे दी।

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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कानून में Parents Teacher Association (PTA) की चुनाव प्रक्रिया को दरकिनार कर ड्रॉ सिस्टम लागू किया गया है, जो अभिभावकों की भूमिका को कमजोर करता है।

इसके अलावा भारद्वाज ने 8 अप्रैल 2025 के दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि शिक्षा निदेशालय (DOE) के पास अधिकार है कि वह निजी स्कूलों का ऑडिट करवाकर अतिरिक्त वसूली गई फीस वापस दिलवा सकता है। साथ ही उन्होंने शिक्षा मंत्री आशीष सूद पर भी भ्रामक बयान देने का आरोप लगाया।

उधर, स्कूलों में बच्चों को लाने ले जाने वाली दिल्ली परिवहन (डीटीसी) की बस सेवा दिल्ली की बीजेपी सरकार फिर शुरू करेगी। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से इस बाबत की गई अपील के बाद विभाग की ओर से दी गई सूचना में यह कहा गया है कि साल 2022 से बंद की गई इस सेवा को दोबारा शुरु किया जाएगा। हालांकि सोमवार (21 अप्रैल) को लिए फैसले में डीटीसी के प्रबंधक ने यह नहीं बताया है कि यह सेवा कब से अमल में आ जाएगी।