Delhi Riots : दिल्ली की एक सेशन कोर्ट ने साल 2020 में हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े के एक मामले में दिल्ली पुलिस के ऊपर कई सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने डीसीपी से अभियोजन पक्ष के “परस्पर विरोधी” रुख पर स्पष्टीकरण मांगा है। शुरू में इसमें 30 शिकायतों को एक साथ रखा गया था, लेकिन पिछले महीने जांच अधिकारी ने सभी जांच वापस लेने के लिए कोर्ट में आवेदन दायर किया था।
शिकायत में दर्ज नाम स्याही से क्यों काटा गया ?
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमचला ने मंगलवार को पारित आदेश में दिल्ली पुलिस पर कई सवाल उठाते पूछा कि आजाद सिंह की शिकायत में चौथा नाम स्याही से क्यों काटा गया? यह कैसे सुनिश्चित किया गया कि इस गवाह का कौन सा बयान सही था और प्राथमिकी में आरोपी के गलत नाम का उल्लेख करने के लिए क्या कार्रवाई पर विचार किया गया था?
लाइव लॉ की खबर के मुताबिक करावल नगर पुलिस स्टेशन में आरोपपत्र के साथ दर्ज की गई शिकायतों को वापस लेने की मांग करते हुए पुलिस ने कोर्ट के समक्ष पेश किए गए एक आवेदन में कहा कि कोई भी शिकायतकर्ता उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और लूटने में शामिल किसी भी आरोपी की पहचान या नाम नहीं दे पा रहा है। इसलिए जांच वापस ले ली जाए।
कोर्ट ने किया आजाद सिंह की शिकायत का जिक्र
दिल्ली पुलिस द्वारा दायर इस आवेदन पर विचार करते हुए अदालत ने आदेश में दर्ज किया कि शुरू में आजाद सिंह ने शिकायत दर्ज की थी। जिसकी नई सभापुर में दुकानें हैं। उसका आरोप था कि 25 फरवरी, 2020 को लाठियों और डंडों से लैस भीड़ उनकी दो दुकानों की ओर आई और उनके ताले तोड़कर उसमें पड़े सामान को लूट लिया। यह भी आरोप लगाया गया कि लोगों ने कुछ सामान जला दिया। सिंह ने शिकायत में चार लोगों का नाम लिया। इसके बाद एफआईआर दर्ज की गई। कोर्ट ने आदेश में कहा, “चौथा नाम स्याही से काटा गया है जो स्पष्ट रूप से बाद में किया गया प्रतीत होता है।’
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता के साथ-साथ अभियोजन पक्ष का भी परस्पर विरोधी रुख दिखाई देता है। अदालत ने गवाह आजाद सिंह के बारे में पुलिस से कई और सवाल पूछे और डीसीपी से जवाब तलब किया है। साथ ही जुलाई में विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) के साथ-साथ संबंधित एसएचओ को एक ही चार्जशीट में तीन से अधिक घटनाओं के आरोपी व्यक्तियों को चार्जशीट करने के लिए कानूनी आधार समझाने के लिए ठोस रिपोर्ट के साथ आने का निर्देश भी दिया है।