दिल्ली पुलिस ने कड़कड़डूमा कोर्ट में दायर की गई चार्जशीट में दावा किया है कि दिल्ली दंगों के साजिशकर्ता शहीद बाग़ और जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के पास सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को ‘दिहाड़ी’ देते थे। चार्जशीट में यह भी दावा किया गया है कि आरोपी महिलाओं को “मीडिया कवर, लिंग कवर और धर्मनिरपेक्ष कवर” के रूप में इस्तेमाल करते थे।

चार्जशीट में कहा गया है कि जामिया समन्वय समिति के सदस्य और जेएमआई के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान और अन्य लोगों ने नकद और बैंक खातों में धन इकट्ठा किया और धरने पर बैठने वाली महिलाओं को ‘दिहाड़ी’ और जरूरत का समान देना शुरू किया। एएजेएमआई ने जामिया मिलिया प्रोटेस्ट साइट के गेट नंबर 7 पर माइक, पोस्टर, बैनर, रस्सियों की व्यवस्था भी कराई। चार्जशीट में कहा गया है कि एएजेएमआई का दैनिक खर्च 5,000- 10,000 रुपये तक था।

पुलिस ने बताया कि चार्जशीट गवाहों के बयानों और व्हाट्सएप चैट के आधार पर बनाई गई है। पुलिस के मुताबिक फरवरी 2019 में हुए दंगों और जामिया मिलिया इस्लामिया के पास हुए विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के बीच अंतर है। पुलिस का कहना है कि उत्तर पूर्व दिल्ली में हुई हिंसा “पूर्ववर्ती दंगा” था जिसमें 53 की मौत हो गई।