दिल्ली सरकार सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों को बच्चे के जन्म के तीन दिन के भीतर या अस्पताल से छुट्टी मिलने पर जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार देने की योजना बना रही है। जन्म प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया अक्सर लंबी और जटिल होती है। इसमें 28 दिन से लेकर एक महीने तक का समय लग सकता है। माता-पिता को इसे प्राप्त करने के लिए अक्सर एक नगर निगम कार्यालय से दूसरे नगर निगम कार्यालय तक चक्कर लगाने पड़ते हैं।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य प्रक्रिया को सरल और सुव्यवस्थित करना, नगर निगम और जिला कार्यालयों पर बोझ कम करना तथा माता-पिता को बिना किसी परेशानी के प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना है। इसके अलावा, इस प्रणाली से सरकार को अस्पतालों में बच्चों के जन्म और मृत्यु के सही आंकड़े भी मिल सकेंगे।

अस्पताल में दर्ज किया जाता है पूरा विवरण

फिलहाल, जब कोई बच्चा अस्पताल में जन्म लेता है, तो मां और बच्चे का पूरा विवरण दर्ज किया जाता है – अस्पताल में भर्ती होने से लेकर जन्म की स्थिति और छुट्टी मिलने तक। लेकिन जन्म प्रमाण पत्र पाने के लिए माता-पिता को सात दिनों के भीतर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) या नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) कार्यालय में जाना पड़ता है या ई-डिस्ट्रिक्ट प्लेटफॉर्म पर आवेदन करना पड़ता है, जिसमें कई तरह की सत्यापन प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।

अधिकारी ने आगे बताया कि भारत के महापंजीयक (आरजीआई) ने जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम में संशोधन कर नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। सरकार ने स्थानीय निकायों और स्वास्थ्य विभाग के साथ बैठकें कर सभी राजस्व जिलों को अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के सहयोग से इसे ज़मीनी स्तर पर लागू करने के निर्देश दिए हैं।

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अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के निदेशक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव, एमसीडी आयुक्त, एनडीएमसी अध्यक्ष और दिल्ली छावनी बोर्ड को शहर के अस्पतालों में इस नई पहल को लागू करने के लिए पत्र भेजा गया है।

अधिकारियों के अनुसार, अब माता-पिता को इस तरह के बुनियादी दस्तावेज़ के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। इस व्यवस्था के तहत प्रसव के समय मौजूद डॉक्टर को जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार होगा। अस्पताल, जो पहले से ही अपने सिस्टम में सभी विवरण दर्ज करते हैं, अब इन सूचनाओं को नागरिक पंजीकरण प्रणाली पर अपलोड करेंगे। इससे डिजिटल रूप से प्रमाण पत्र तैयार किया जा सकेगा और परिवार को अस्पताल छोड़ने से पहले ही यह प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा।

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अधिकारियों ने कहा कि यह पहल दिल्ली में डिजिटलीकरण, व्यापार सुगमता और जन्मों के वास्तविक समय पर पंजीकरण की दिशा में सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है। इस योजना को सही ढंग से लागू करने के लिए एक अंतर-विभागीय समन्वय समिति भी बनाई गई है। वर्तमान में एनडीएमसी और दिल्ली छावनी बोर्ड के तहत 12 एमसीडी ज़ोन और तीन अस्पताल हैं, जहाँ जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया जाता है।

आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय ने स्वास्थ्य विभाग और नगर निकायों को लिखे पत्र में कहा है कि जन्म प्रमाण पत्र के बढ़ते महत्व को देखते हुए अब यह समय की ज़रूरत है कि नवजात की मां को अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही यह प्रमाण पत्र दे दिया जाए। खासकर सरकारी अस्पतालों में, जहाँ 50% से अधिक संस्थागत जन्म होते हैं।

अधिकारियों ने बताया कि देश भर के सभी सरकारी अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पंजीकरण इकाइयों के रूप में काम कर रहे हैं। नगर निकायों को इन इकाइयों के रजिस्ट्रारों को नए बदलावों के बारे में जागरूक करने के निर्देश भी दिए गए हैं। अधिकारियों ने यह भी बताया कि वे जल्द ही रजिस्ट्रारों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित करेंगे। आने वाले दिनों में इस पहल की शुरुआत आरएमएल अस्पताल से की जाएगी।