दिल्ली से Astha Saxena की रिपोर्ट: देशभर में इस वक्त कोरोनावायरस के नए केसों में स्थिरता आई है। हालांकि, दिल्ली में त्योहारों का मौसम जारी रहने के साथ ही हर दिन रिकॉर्डतोड़ नए केस सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को ही राजधानी में पहली बार कोरोना के 7000 से ज्यादा नए केस सामने आए। इसके चलते अब दिल्ली में एक्टिव केसों की संख्या बढ़ रही है, जिसका असर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए तय किए गए वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड्स पर पड़ रहा है। अब यह समस्या दिल्ली के प्राइवेट हॉस्पिटलों से बढ़कर सरकारी अस्पतालों तक पहुंच चुकी है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को दिल्ली में 7178 नए केस रिकॉर्ड हुए, जबकि 64 मौतें हुईं। इस लिहाज से यहां अब तक कुल 4 लाख 23 हजार कोरोना केस सामने आ चुके हैं, जबकि कुल 6833 लोगों की जान भी जा चुकी है। कुल केसों में से 42 हजार 187 मामले तो सिर्फ पिछले एक हफ्ते में आए हैं। इसकी वजह से प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में मौजूद 1250 आईसीयू वेंटिलेटर्स में से 912 यानी 73 फीसदी वेंटिलेटर रिजर्व हो चुके हैं।
दिल्ली सरकार की कोरोना ऐप पर दी गई जानकारी से साफ है कि सफदरजंग, दीन दयाल उपाध्याय और सरदार पटेल अस्पताल में वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड खाली नहीं हैं। बता दें कि दिल्ली में 14 सरकार अस्पतालों में आईसीयू बेड्स की सुविधा का इंतजाम किया गया है। राममनोहर लोहिया अस्पताल में भी अब सिर्फ 28 वेंटिलेटर बेड्स में सिर्फ दो खाली हैं। AIIMS ट्रॉमा सेंटर में 50 आईसीयू बेड्स में 5 ही खाली हैं। वहीं लेडी हारबिंगर मेडिकल कॉलेज में 17 में से 9 बेड्स ही खाली हैं। इन तीनों अस्पतालों को केंद्र सरकार संचालित करती है।
दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में भी कुछ ऐसे ही हाल हैं। राजधानी की सबसे बड़ी कोविड फैसिलिटी में अब 200 में से सिर्फ 19 आईसीयू बेड्स खाली हैं। जीटीबी हॉस्पिटल में 128 में से 11 बेड्स मरीजों के लिए मुहैया कराने की लिस्ट में हैं। बाकी सभी पहले से ही घिरे हैं।
लोकनायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर सुरेश कुमार ने कहा कि पिछले एक हफ्ते से हमें हर दिन 80-90 मरीज मिल रहे हैं। इनमें से 50 फीसदी को आईसीयू में भेजना पड़ रहा है। हमने दो हफ्ते पहले ही आईसीयू बेड्स की संख्या को 430 तक बढ़ा दिया है और अगर जरूरत पड़ी तो इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी।

