कोरोना संक्रमित चोर
दिल्ली पुलिस इन दिनों तोबड़तोड़ छापामारी कर बदमाशों को पकड़ रही है। बदमाश भी मजबूर हैं कि लूटे गए सामान या फिर झपटे गए सामानों को खपा नहीं पा रहे हैं। खासकर मोबाइल फोन और आभूषण। बीते दिनों एक ऐसा ही मामला सामने आया, जब एक गिरोह ने एक पायलट के साथ लूटपाट की। पुलिस ने इस गिरोह के कई सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। पर एक सदस्य की जब मेडिकल जांच करवाई गए तो पता चला कि कोरोना पॉजेटिव है। उसके बाद उन पुलिसकर्मियों के होश उड़ गए, जिन्होंने बदमाश को कड़ी मेहनत और कई ठिकानों पर छापेमारी कर पकड़ा था। हालांकि, पुलिसकर्मियों ने माना है कि इससे उनका मनोबल टूटने वाला नहीं है। पर सभी पुलिसकर्मियों को भी एकांतवास होना पड़ गया है। साथ ही बदमाश को भी पुलिस ने अदालत में पेश करने की बजाय एकांतवास केंद्र में भेज दिया है।
उलझन में व्यापारी
उलझन में कोई निर्णय सही नहीं होता। यह बात दिल्ली बाजार के व्यापारियों और खासकर खुदरा व्यापारियों में इन दिनों से सटीक बैठ रही है। जब तक दुकानें बंद थीं तब तक दुकानें खोलने की मांग करते रहे जब दुकानें खुल गईं तो अब दुकान चलाने को लेकर आफत है। उनमें कोरोना का डर भी है। और दुकानें खोलने का मन भी है। क्या करें अब? कुछ कह रहे हैं बाजार फिर से बंद करो। व्यापारी करें तो क्या करें। दुकान खोलें कोरोना का खतरा न खोलें तो धंधा बैठने का खतरा।
इसे लेकर नेताओं की मानों दुर्गति हो गई है है तभी तो भीतर रास्ता निकाला है उनके संगठन ने। आॅनलाइन सर्वे में अब सवाल पूछ रहे हैं कि बंद किया जाए कि खोला जाए? अब अगर सब ठीक रहा तो बाजार खुलेगा नहीं ठीक रहा तो बंद होगा। पिछले दरवाजे से उपराज्यपाल से समय मांग रहे हैं कि वे व्यापरियों को समझा सकें।
प्रमाण पत्र की परेशानी
कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों के पलायन करने से औद्योगिक महानगर नोएडा समेत उत्तर प्रदेश के अधिकांश शहरों में काम करने वाले श्रमिकों की कमी हो गई है। यहां तक कि शहर की कई विकासशील परियोजनाओं का जारी निर्माण कार्य जरूरत के सापेक्ष महज 20-25 फीसद मजदूरों के साथ किया जा रहा है। वहीं, आवश्यक सेवाएं जैसे अस्पतालों में काम करने वाले, घर-घर से कचरा उठाने वाले और संक्रमणरोधी अभियान में काम करने के लिए ठेकेदार अधिक शुल्क में भी लोगों को काम करने का न्यौता दे रहे हैं, लेकिन इसमें भी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र परेशानी व अवैध उगाही का माध्यम बन रहा है। ऐसे लोगों को तभी काम पर लगाया जा सकता है, जब उनके पास स्वस्थ्य होने का प्रमाण पत्र हो।
इस प्रमाण पत्र को जारी कराने के लिए जिला अस्पताल में एंबुलेंस के चालक, साफ-सफाई करने वाले इन्हें जारी कराने के लिए 200-500 रुपए तक वसूल रहे हैं। खास बात यह है कि मांगी गई फीस देने के बाद जिस व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रमाण पत्र बनना है, उसके बगैर आए ही जारी करने की शिकायतें मिल रही हैं। प्रमाण पत्र पर उक्त व्यक्ति का नाम, उम्र लिखकर छपे हुए कागज पर शारीरिक रूप से स्वस्थ्य लिखकर दिया जा रहा है। जिसे नियोक्ता कागजी दस्तावेज के रूप में अपने पास रखकर काम करा रहे हैं।
पद हथियाने की कोशिश
नई टीम की घोषणा का इंतजार दिल्ली भाजपा के नेताओं को बेसब्री से है। पार्टी भले ही अब तक कोई फैसला नहीं ले पाई हो लेकिन नेताओं में अभी से पदभार बंटने शुरू हो गए हैं। कोई बड़े नेता जी की पहुंच के आधार पर अपनी दावें ठोक रहा है और कोई पुराने रिश्तों के हवाले आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है। कोशिश यहां तक भी हो रही है कि नेता जी के परिवार वालों के साथ भी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं, ताकि टीम में घुसने का मौका हाथ से ना चूक जाए।
वर्चुअल रैली और नेता
बंद ने नेताओं को जनता के बीच जाने का नया हथियार दिया है, वर्चुअल रैली। इसकी शुरूआत राजनीतिक पार्टियों ने कर दी है, लेकिन इन रैलियों में शामिल होने वाले आंकड़ों को लेकर भ्रम पैदा किया जा रहा है। लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उपलब्ध आंकड़ों ने सारी तैयारियों की पोल खोल कर रख दी है। कितने लोगों तक सरकार की योजनाओं का लेखा जोखा पहुंच पाया। अब इस पर भी सवाल खड़ा किया जा रहा है। जिसका जवाब भी नेताओं के पास नहीं है।
-बेदिल