राजधानी दिल्ली के मंडावली इलाके में भूख के कारण तीन बच्चियों के दम तोड़ के मामले की आंच संसद तक पहुंची है। दिल्ली महिला आयोग ने भी केजरीवाल सरकार से कल (27 जुलाई) तक जवाब मांगा है। केजरीवाल सरकार बीजेपी के निशाने पर है। बीजेपी का आरोप है कि सत्ताधारी पार्टी अपने लोगों को इतना राशन भी मुहैया नहीं करा पाई कि वे कम से कम भूख से तो न मरते। बीते मंगलवार (24 जुलाई) को मंडावली के एक कमरे से 2, 4 और 8 वर्ष की तीन बच्चियां बेहोशी की हालत में मिली थीं। जानकारी लगने पर पड़ोसियों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। बच्चियों के मरने का कारण कुपोषण बताया गया था। गुरुवार (26 जुलाई) को डॉक्टर अमिता सक्सेना ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि पोस्टमार्टम में बच्चियों के पेट में एक भी दाना नहीं मिला। उन्होंने कहा, ”पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स कहती है कि उनके पेट बिल्कुल खाली थे, लगता है कि उन्होंने कई दिनों से खाना नहीं खाया था। यह सकल कुपोषण का मामला है।”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लड़कियों का पिता एक दिहाड़ी मजदूर है और मंगलवार से लापता चल रहा है। मां के बारे में कहा जा रहा कि वह मानसिक तौर पर स्वस्थ्य नहीं हैं और बच्चियों की देखभाल नहीं कर सकीं। एक पड़ोसी ने मीडिया को बताया, ”वे यहां तीन दिन पहले ही आए थे। उनके दरवाजे हमेशा बंद रहते थे। अगर हमें पता होता और अगर उन्होंने हमसे कहा होता तो हम उन्हें खाना खिलाते।” दिल्ली महिला आयोग ने मामले पर स्वत: संज्ञान लेते दिल्ली सरकार से इसकी जांच करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। दिल्ली के बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बच्चियों की मां और रिश्तेदार से मुलाकात की है।

गुरुवार को मामला लोकसभा में भी उठा। सांसदों ने आम आदमी पार्टी की सरकार को घेरते हुए कहा कि वह लोगों को पार्याप्त राशन मुहैया कराने में नाकाम रही है। इसी बीच, दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि वह बच्चियों की मां की देखभाल करेगी, उन्हें चिकित्सकीय सहायता पहुंचाई जाएगी। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने मनीष सिसोदिया ने कहा कि मां के इलाज के लिए 25 हजार रुपये दिए गए हैं और बच्चियों के पिता के लौटते ही और आर्थिक मदद की जाएगी।

गुरुवार की शाम राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।