दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना (Vinai Kumar Saxena) ने हाल ही में दिल्ली सरकार के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की। मीटिंग में उन्होंने 2016 से पेंडिंग उन सभी फाइलों को हटाने के लिए कहा, जिसमें कुछ अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें भी शामिल हैं। उपराज्यपाल ने विभाग प्रमुखों को बुलाया और दिल्ली के मुख्य सचिव को सभी पेंडिंग मामलों को निपटाने का निर्देश दिया।
केवल दो महीनों में एलजी सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अधिकारियों के साथ उप मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम), एक विधायक सहित 21 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। इतना ही नहीं उन्होंने कई पुरानी फाइलें भी खुलवाई हैं जिनपर जल्द से जल्द एक्शन लिया जाएगा।
बिना किसी देरी के फाइलों को मंजूरी: विनय कुमार सक्सेना के एक करीबी अधिकारी ने कहा, “एलजी ने सभी से कहा है कि या तो वह साइट पर जाएंगे या कार्यालय में पड़ी फाइलें निपटाएंगे।” बैठक में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “एलजी ने बैठक में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे अधिकारियों पर कार्यवाई में देरी और काम करने के तौर-तरीकों पर नाराजगी जताई। उपराज्यपाल ने सभी अधिकारियों से उन्हें ऐसी फाइलें सौंपने के लिए कहा और वादा किया कि बिना किसी देरी के फाइलों को मंजूरी दे दी जाएगी।”
उपराज्यपाल ने अब तक नॉर्थ रेवेन्यू के अपर जिलाधिकारी (ADM) नितिन जिंदल के खिलाफ कार्रवाई की है। उपराज्यपाल ने उनपर कड़ा जुर्माना लगाते हुए उन्हें निलंबित करने की सिफारिश की है। जिंदल पर मार्च 2021 में उत्तरी जिले के ग्राम जींदपुर स्थित वन विभाग की भूमि को निजी व्यक्तियों को अवैध रूप से हस्तांतरित करने के आरोप हैं।
कई अधिकारियों पर गिरी गाज: मुकुल मनराई एक अन्य अधिकारी हैं जिन पर कार्यवाई की गयी, जो दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय, राजस्व विभाग में पूर्व उप सचिव हैं। उपराज्यपाल ने एसीबी द्वारा रिश्वतखोरी के आरोप में उनके खिलाफ जांच को मंजूरी दी। उन पर उपस्थिति रजिस्टर प्रमाणित करने के बदले में एक नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक से रिश्वत मांगने का आरोप है। प्रकाश चंद ठाकुर पर भी सीएम कार्यालय में उप सचिव, निजी व्यक्तियों / संस्थाओं के साथ आपराधिक मिलीभगत के आरोप हैं। जिन्होंने बदले में आर्थिक लाभ के लिए सरकारी भूमि का स्वामित्व देने का आदेश दिया था।
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने बताया, “एलजी ने यह साफ कर दिया है कि अधिकारियों को दिल्ली से बाहर जाना होगा और किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा। कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को एमसीडी से हटाकर दूसरे केंद्र शासित प्रदेशों में भेज दिया गया है। उपराज्यपाल ने तबादलों की प्रक्रिया तेज कर दी है और किसी पर कोई दया नहीं दिखाई।”