बिहार के एक विश्वविद्यालय ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि दिल्ली के विधि मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर का अंतरिम प्रमाणपत्र ‘जाली है और इसका संस्थान के रिकॉर्ड में अस्तित्व नहीं है।’ तोमर ने इसी विश्वविद्यालय से विधि की शिक्षा प्राप्त करने का दावा किया है।
बिहार के तिलक मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ने अदालत के सामने अपनी जांच रिपोर्ट रख कर कहा कि अंतरिम प्रमाण पत्र में दिया गया सीरियल नंबर रिकॉर्ड में तोमर की जगह किसी अन्य व्यक्ति का नाम दिखाता है।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर की पीठ के सामने रखे गए हलफनामे में कहा गया कि जांच रिपोर्ट और विश्वविद्यालय रिकॉर्ड के आधार पर सीरियल नंबर 3687 वाला अंतरिम प्रमाण पत्र 29 जुलाई 1999 को संजय कुमार चौधरी को वर्ष 1998 में हुई बीए (ऑनर्स) की राजनीतिक विज्ञान की परीक्षा के लिए दिया गया था। उन्होंने कहा कि तोमर के नाम का अंतरिम प्रमाण पत्र जाली दस्तावेज है और इसका विश्वविद्यालय रिकॉर्ड में अस्तित्व ही नहीं है।
विश्वविद्यालय ने उस याचिका पर आधारित नोटिस का जवाब दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि तोमर ने विधि स्नातक की ‘जाली’ डिग्री के आधार पर अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया।
अदालत ने उत्तर प्रदेश के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से भी जवाब मांगा था जहां से विधि मंत्री ने विज्ञान में स्नातक करने की बात कही थी। इस याचिका पर पक्षकार बनाने की मांग करने वाले दिल्ली के बार सदस्यों ने अदालत को जानकारी दी कि उन्हें अवध विश्वविद्यालय से जानकारी मिली है कि तोमर की स्नातक की डिग्री कथित रूप से ‘जाली’ है।