राजधानी दिल्ली को पानी की आपूर्ति करने वाले दिल्ली जल बोर्ड के पास आग जैसी घटना से निपटने के कोई खास इंतजाम नहीं हैं। जल बोर्ड मुख्यालय के वरुणालय फेज एक और वरुणालय फेज दो में अग्निसुरक्षा से निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। पिछले ढाई साल से ज्यादा समय से अग्नि सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने की वजह से दिल्ली अग्निशमन सेवाएं विभाग ने जल बोर्ड को अग्नि सुरक्षा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया है। निरीक्षण में पता चला कि मुख्यालय में 10,000 लीटर पानी की क्षमता वाले ओवरहेड टैंक तक की व्यवस्था करना जरूरी नहीं समझा गया।

दिल्ली अग्निशमन सेवाएं विभाग के निदेशक अतुल गर्ग की ओर से दिल्ली जल बोर्ड को हाल ही में एक पत्र जारी किया है। इसमें 14 सितंबर, 2022 को दिल्ली जल बोर्ड मुख्यालय के वरूणालय फेज एक और वरुणालय फेज दो के किए गए निरीक्षण का हवाला भी दिया गया है। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने वरुणालय के दोनों फेज का जमीनी स्तर पर गहन निरीक्षण किया था और अग्नि सुरक्षा प्रबंधन में तमाम खामियां पाई थीं। उस वक्त अग्नि सुरक्षा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार करते हुए आवेदन को रद्द कर दिया था और कमियों को दूर करने को कहा गया था।

हैरान करने वाली बात यह है कि राजधानी को जलापूर्ति करने का जिम्मा संभालने वाले डीजेबी के मुख्यालय के फेज वन में अग्निसुरक्षा मानकों के अंतर्गत दस हजार लीटर पानी की क्षमता वाले उपरली टंकी (ओवरहेड टैंक) की व्यवस्था तक नहीं की गई है। दूसरी तरफ फेज दो में जल बोर्ड ने ओवरहेड टैंक की व्यवस्था कर रखी है लेकिन निरीक्षण के दौरान वह खाली मिला। इन कमियों के चलते अग्नि सुरक्षा एनओसी जारी करने के आग्रह संबंधी आवेदन को उस वक्त रद्द कर दिया गया था जिसके बाद जल बोर्ड ने फिर से 23 जनवरी 2025 को नया आवेदन किया।

आवेदन पर कार्रवाई करते हुए 25 फरवरी 2025 को दिल्ली अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने निरीक्षण किया। गौर करने वाली बात यह है कि नए आवेदन देने से से पहले डीजेबी ने ढाई साल पहले सामने आर्इं कमियों को दूर करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। दूसरी तरफ निरीक्षण के दौरान वरुणालय फेज वन के पास फायर वाटर लाइन और क्षतिग्रस्त स्थिति में पाई गई।

अग्निशमन विभाग के निदेशक ने मौजूदा स्थिति में अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र तब तक जारी नहीं करने को कह दिया है जब तक सितंबर 2022 के निरीक्षण की कमियां दूर नहीं कर दी जातीं। जल बोर्ड को यह भी साफ कर दिया गया है कि अगर इन कमियों के साथ इमारत और परिसर का इस्तेमाल किया जाता है तो किसी भी तरह के जोखिम और जवाबदेही खुद संपत्ति के मालिक/अधिभोगी के ऊपर ही होगी।