भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली के कुछ विद्यार्थियों ने राजेंद्र नगर वार्ड के करीब 100 पार्कों को कचरा मुक्त करने का बीड़ा उठाया है। यह कार्य इनेक्टस आइआइटी दिल्ली के ‘निर्मल्या’ अभियान के तहत किया जाएगा। इस दौरान पार्क के कचरे से पार्क में ही खाद तैयार किया जाएगा। ‘निर्मल्या’ की प्रमुख टीम के सदस्य और बीटेक कंप्यूटर साइंस के दूसरे वर्ष के छात्र साहिल डहाके ने बताया कि हमने राजेंद्र नगर वार्ड के लगभग 100 पार्कों को कचरा मुक्त करने की योजना बनाई है। इस योजना में नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) और नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी से भी सहयोग मिल रहा है। योजना की शुरुआत 27 जनवरी से होगी। उन्होंने बताया कि हमारी टीम छह महीने से यहां के पार्कों का अध्ययन कर रही थी। इस दौरान हमने उन स्थानों का चयन कर लिया है, जहां पर पार्क के कचरे से खाद बनाने का काम किया जाना है। साहिल के मुताबिक इस योजना के तहत सबसे पहले स्थानीय निवासियों को हमारे कार्य के प्रति संवेदनशील और हमसे जुड़ने का आह्वान किया जाएगा। इसके बाद आइआइटी के विद्यार्थियों द्वारा विकसित कचरे से खाद बनाने की मशीन ‘रुचित्रा’ को लगाया जाएगा।
‘रुचित्रा’ पार्क के कचरे को तीन महीने में खाद में बदल देती है। यह कार्य पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल किया जाता है। इसमें किसी भी तरह के रसायनों को इस्तेमाल नहीं किया जाता है ताकि वायु और जल प्रदूषण होने से रोका जा सके। साहिल ने बताया कि हमने ‘कचरा विहीन परिवेश’ की परिकल्पना के साथ तीन साल पहले ‘निर्मल्या’ की शुरुआत की थी। इसके तहत सबसे पहले आइआइटी के विद्यार्थियों की कई टीमों ने दिल्ली की कचरा पट्टियों पर शोध किया। इससे पता चला कि कचरा पट्टियों पर पहुंच रहा जैविक कचरा सबसे बड़ी समस्या है। कचरा पट्टियों तक जैविक कचरे को पहुंचने से रोकने के लिए तीन सूत्रीय योजना बनाई गई। इसमें पार्कों के कचरे का निबटान, कचरे को अलग-अलग करने के लिए जागरूकता और रसोई के कचरे का निबटान शामिल है। यह टीम अब तक कई स्कूलों और सोसायटी में इसका सफल प्रयोग कर चुकी है।
‘निर्मल्या’ टीम के प्रमुख और बीटेक बायोटेक्नोलॉजी के तीसरे वर्ष के छात्र नमन भार्गव के मुताबिक, खाद बनाने की प्रक्रिया में आसपास के बच्चों को शामिल किया जाएगा। ताकि वे भविष्य में इस कार्य को आगे बढ़ा सकें। उनके मुताबिक जब किसी कार्य में बच्चे लग जाते हैं तो परिवार के बड़े लोगों को भी उसमें मजा आने लगता है। मोबाइल ऐप के जरिए रखी जाएगी नजर: नमन के मुताबिक, पार्कों में लगाई गई ‘रुचित्रा’ पर मोबाइल ऐप के माध्यम से नजर रखी जाएगी। अगर हमें कहीं कोई कमी दिखेगी तो उसे तुरंत सही कर लिया जाएगा। इसके अलावा पार्कों के माली और अन्य कर्मचारियों को भी इस कार्य में शामिल किया जाएगा।

