दिल्ली के मोती नगर में मौजूद अपोलो क्रेडल एंड चिल्ड्रन अस्पताल पर एक शख्स ने आरोप लगाया कि 13 लाख रुपये की पेमेंट का भुगतान नहीं करने पर अस्पताल ने प्रसव के दो महीने बाद भी उसके नवजात जुड़वा बच्चों को छुट्टी नहीं दी। गुड़गांव के एक एटीएम कियोस्क पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड पंकज कुमार मिश्रा ने आरोप लगाया कि उन्होंने 5 लाख रुपये का भुगतान किया, लेकिन अस्पताल ने उनसे और पैसे मांगे।
हालांकि, अस्पताल की तरफ से भी एक बयान जारी किया गया है। इसमें कहा गया कि परिवार ने दो मौकों पर स्टाफ के साथ में बुरा बर्ताव किया। इससे डॉक्टरों और स्टाफ की जान को खतरा हो गया। इसमें यह भी कहा गया कि बच्चों को ले जाने के लिए जानकारी देने के बाद भी पेरेंट्स औपचारिकताएं पूरी करने के लिए राजी नही थे। मोती नगर थाने के एसएचओ को लिखे पत्र में मिश्रा ने कहा कि उनकी पत्नी ने 17 जुलाई को अस्पताल में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। इसके बाद बच्चों को एनआईसीयू में ट्रांसफर कर दिया गया। हालांकि, यहां से बच्चों को हटाने के बाद में भी छुट्टी नहीं दी।
जुड़वा बच्चों के पिता ने क्या आरोप लगाए
मिश्रा की पत्नी ने आईवीएफ के तहत जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि हमें 13 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया है। इसके बिना हमें अपने बच्चों को ले जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि अपनी पत्नी की गर्भावस्था के सातवें महीने में पहली बार अपोलो हॉस्पिटल गए थे। मिश्रा ने कहा कि वे अपनी पत्नी को लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, ईएसआई बसईदारापुर और सफदरजंग अस्पताल समेत कई हॉस्पिटल में ले गए। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया कि हर एक अस्पताल में एनआईसीयू बेड मौजूद नहीं थे।
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मिश्रा ने दावा किया कि मोती नगर में मौजूद अपोलो क्रेडल अस्पताल पहुंचने के बाद उन्हें बताया गया कि उनकी पत्नी के भर्ती होने और प्रसव की पूरी प्रक्रिया में केवल 4-5 लाख रुपये का खर्च आएगा। इतना ही नहीं उन्हें कुछ छूट मिलने की भी बात कही थी। इससे उसकी लागत 2.5-3 लाख रुपये तक कम हो जाएगी। मिश्रा ने यह भी दावा किया कि प्रसव के बाद से उन्होंने 5.81 रुपये की पेमेंट कर दी है। इसका इंतजाम रिश्तेदारों से किया गया है।
31 अगस्त तक एनआईसीयू में रखा गया
मिश्रा ने कहा कि उनकी पत्नी को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी उनके बच्चों को 31 अगस्त तक एनआईसीयू में रखा गया। उन्होंने कहा कि उनके बार-बार आग्रह के बाद भी उन्हें कथित तौर पर अपने बच्चों से मिलने का मौका नहीं दिया गया और 1 लाख रुपये का भुगतान करने के बाद ही उन्हें बच्चों से मिलने की इजाजत दी गई। उन्होंने यह भी कहा कि हर दिन 60-65000 रुपये का बिल बनाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि बच्चों को 31 अगस्त को एनआईसीयू से छुट्टी दे दी गई थी और उन्हें नर्सरी में रखा गया था।
मिश्रा ने कहा कि मैंने उनसे अपने बच्चों को छुट्टी देने के लिए कहा ताकि मैं उन्हें ईएसआई अस्पताल ले जा सकूं। हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने कहा कि वे एक एनजीओ के जरिये मेरी मदद करने की कोशिश करेंगे। मिश्रा ने कहा कि जो बिल बनाया गया वह पूरी तरह से गलत था। उनको पहले यह भरोसा दिलाया गया था कि इसमें खर्च केवल 4-5 लाख रुपये तक का ही होगा। उन्होंने कहा कि उन्होंने मुझे लिखित में कुछ भी नहीं दिया और अब वे मुझे मेरे बच्चे वापस दिए बिना ही बढ़ा-चढ़ाकर बिल थमा रहे हैं।
मेडिकल टीम ने बहुत काम किया- अस्पताल
अस्पताल ने अपने बयान में कहा कि यह आईवीएफ जुड़वां बच्चों के जन्म के मामले से संबंधित है। इसमें बच्चों को बहुत ही ज्यादा देखभाल की जरूरत है। बच्चों का जन्म इमरजेंसी सिजेरियन सेक्शन के जरिये हुआ था और उनका वजन भी काफी कम था। अपोलो क्रेडल मेडिकल टीम ने मामले को काफी सही तरीके से संभाला और बच्चों का जन्म सही से हुआ और मां भी ठीक थी।
बयान में कहा गया है कि महिला को भीर हालत में अपोलो क्रेडल में भर्ती कराया गया था। जन्म के तुरंत बाद समय से पहले जन्मे जुड़वां बच्चे गंभीर हालत में थे और उन्हें एनआईसीयू में भर्ती कराया गया था। अपोलो क्रेडल की मेडिकल टीम ने बच्चों के सही रहने के लिए चौबीसों घंटे काम किया और हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दोनों बच्चे ठीक हैं। अस्पताल ने बताया कि मां को 20 जुलाई को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई थी। जब 31 अगस्त को बच्चे भी अस्पताल से छुट्टी के लिए स्वस्थ हो गए तो पेरेंट्स को जानकारी दी गई कि वे अपने बच्चों को ले जाएं।
अस्पताल के स्टाफ के साथ में बुरा बर्ताव किया
इसमें कहा गया कि जब पेरेंट्स से संपर्क किया गया तो उन्होंने डिस्चार्ज की औपचारिकताएं पूरी करने से मना कर दिया और अस्पताल के स्टाफ के साथ में बुरा बर्ताव किया। स्टाफ ने बार-बार माता-पिता से जुड़वा बच्चों को वापस घर ले जाने के लिए कहा। हालांकि, परिवार ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अस्पताल ने कहा कि 7 सितंबर को माता-पिता अचानक अस्पताल पहुंचे। फिर बुरा बर्ताव किया और स्टाफ को धमकाना भी शुरू कर दिया। अपोलो क्रैडल टीम उन माता-पिता के बर्ताव से हैरान हैं। हॉस्पिटल की मेडिकल टीम उनकी सुरक्षा को लेकर बहुत ही ज्यादा परेशान हैं। टीम की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि औपचारिकताएं पूरी करने के बाद में अपने बच्चों को ले जाएं।