दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली के पूर्व कैबिनेट मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain) की जमानत अर्जी ख़ारिज कर दी। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा (Justice Dinesh Kumar Sharma) ने कहा कि सत्येंद्र जैन एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जमानत के लिए दोहरी शर्तों को पूरा किया है।

सत्येंद्र जैन की जमानत अर्जी ख़ारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा, “साधारण तथ्य यह है कि सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति (DA) का मामला दर्ज किया है। वर्तमान अदालत इन कार्यवाही की वैधता में नहीं जा सकती है। तथ्य बताते हैं कि कुछ DA नकाबपोश थे। अदालत को प्रथम दृष्टया मामला देखना है। व्यापक संभावनाओं से संकेत मिलता है कि उनसे जुड़ी कंपनियां उनके द्वारा नियंत्रित और प्रबंधित की जाती हैं। विद्वान विशेष न्यायाधीश (Learned special judge) के आदेश (जैन को जमानत खारिज करने) में कोई कमी नहीं है। आदेश अच्छी तरह से तर्कपूर्ण है।”

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि संभावना है कि सत्येंद्र जैन सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। अदालत ने कहा, “आरोपी व्यक्ति प्रभावशाली है। याचिकाकर्ता को पीएमएलए के तहत दोनों शर्तों को पूरा करने के लिए नहीं ठहराया जा सकता है।” कोर्ट ने 22 मार्च को फैसला सुरक्षित रखने के बाद फैसला सुनाया है।

सत्येंद्र जैन मई 2022 से जेल में बंद हैं। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था। ट्रायल कोर्ट ने 17 नवंबर, 2022 को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने 1 दिसंबर, 2022 को उच्च न्यायालय के समक्ष आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने सत्येंद्र जैन के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को सुना था।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शुरू में सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) (सरकारी कर्मचारी द्वारा आपराधिक कदाचार) और 13(E) (आय से अधिक संपत्ति) के तहत मामला दर्ज किया था। यह मामला इस आरोप पर दर्ज किया गया था कि सत्येंद्र जैन ने 2015 और 2017 के बीच विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर चल संपत्ति अर्जित की थी, जिसका वह संतोषजनक हिसाब नहीं दे सके।