लोकसभा चुनाव में हार के बाद दिल्ली कांग्रेस में तकरार बढ़ती नजर आ रही है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित को हटाने की मांग तेज हो गई है। वहीं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको को साइडलाइन किए जाने की मांग ने भी जोर पकड़ लिया है। इस घटनाक्रम से चिंतित पार्टी की केंद्रीय इकाई कई वरिष्ठ नेताओं के पास पहुंच राज्य के मजूदा नेतृत्व पर गंभीरता से विचार कर रही है। दिल्ली में कांग्रेस पार्टी दो गुटों में बंटी नजर आ रही है एकतरफ पीसी चाको का गुट है तो दूसरी तरफ शीला दीक्षित का गुट।
पार्टी के सीनियर नेता के मुताबिक ‘आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की भविष्य की रणनीति पर चर्चा शुरू हो गई है। हाल के लोकसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन और दिल्ली में कांग्रेस की कमान संभालने वाले नेताओं के प्रदर्शन को ध्यान में रखकर फैसला लिया जाएगा।’
एक अन्य नेता ने कहा ‘दीक्षित ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। हमने सुना है कि पार्टी अध्यक्ष कुछ बदलाव कर सकते हैं। चाको को पद से हटाया जा सकता है क्योंकि हमने उनके कार्यकाल में कई चुनाव हारे हैं।’
वहीं शीला दीक्षित ने ने कहा है कि ‘हां ये सच है कि इन मुद्दों पर पार्टी के भीतर बातें हो रही हैं लेकिन जबतक कोई फैसला नहीं लिया जाता मैं तब तक कुछ नहीं बोलूंगी।’ बता दें कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी दिल्ली में दूसरे नंबर पर रही जो कि 2014 की तुलना में बेहरत प्रदर्शन है।
सोमवार को गांधी को लिखे एक पत्र में दिल्ली महानगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष पुरुषोत्तम गोयल ने दीक्षित को हटाने के लिए कहा और सुझाव दिया कि पार्टी अगले साल विधानसभा चुनाव में ‘नए चेहरे’ के साथ चुनाव लड़े। दूसरी ओर, कांग्रेस के एक अन्य नेता रोहित मनचंदा ने चुनाव हारने के कारण चाको के इस्तीफे की मांग की है।
एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा ‘पार्टी का भविष्य उनके (गांधी के) फैसले पर निर्भर करता है। हमें पार्टी की हार के पीछे के कारणों का गंभीरता से आकलन करने की आवश्यकता है। एक बार जब वह अपना इस्तीफा वापस ले लेते हैं, तो उन सभी चार राज्यों पर निर्णय लिया जाता है जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।’
इस बीच, लोकसभा की हार के कारणों का विश्लेषण करने के लिए दीक्षित द्वारा गठित पांच सदस्यीय पैनल ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट पेश कर दी। इस पैनल का गठन 27 मई को किया गया था। पैनल में पूर्व सांसद परवेज हाशमी, पूर्व मंत्री डॉ. ए के वालिया और डॉ. योगानंद शास्त्री, एआईसीसी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा और पूर्व विधायक जय किशन शामिल थे।