Rouse Avenue Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने राउज एवेन्यू कोर्ट के एक स्पेशल जज का हाल ही में ट्रांसफर कर दिया। जज के खिलाफ शिकायत मिली थी कि वह जमानत के लिए रिश्वत लिए जाने यानी सीधे तौर पर भ्रष्टाचार के मामले में शामिल हैं। इस साल 29 जनवरी को दिल्ली सरकार की एंटी करप्शन ब्रांच Anti-Corruption Branch (ACB) ने स्पेशल जज और उनकी कोर्ट के अहलमद (क्लर्क या अफसर) के खिलाफ जांच शुरू करने की अनुमति मांगी थी।

ACB की यह मांग जब दिल्ली हाई कोर्ट के पास आई तो कोर्ट ने यह कहकर इसे खारिज कर दिया था कि इस एजेंसी के पास स्पेशल जज के खिलाफ ‘जरूरी सामग्री’ नहीं है हालांकि अदालत ने कहा था कि एजेंसी अपनी जांच जारी रखें। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर स्पेशल जज के खिलाफ कोई ठोस बात मिलती है तो एजेंसी फिर से अदालत में आए।

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16 मई को ACB ने जज के सहयोगी अहलमद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली थी और 20 मई को हाई कोर्ट ने स्पेशल जज का ट्रांसफर राउज एवेन्यू कोर्ट से दूसरी कोर्ट में कर दिया।

क्या है यह पूरा मामला?

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 29 जनवरी को ACB की ओर से भेजे गए पत्र में लिखा गया था कि यह राउज एवेन्यू कोर्ट के अधिकारियों, अहलमद और विशेष जज के खिलाफ शिकायत को लेकर है और इसमें बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी शामिल है।

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ACB ने अपने पत्र में अप्रैल 2023 में दर्ज एक मामले के बारे में लिखा है। इस मामले में एक GST अधिकारी पर 2021 में फर्जी/बोगस फर्मों को GST रिफंड जारी करने का आरोप है। ACB ने इस मामले में GST अधिकारी, तीन वकील, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और दो ट्रांसपोर्टरों समेत कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया था। इन सभी को स्पेशल जज की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

ACB के मुताबिक, आरोपियों ने जब अदालत में जमानत के लिए अर्जी लगाई तो उनकी बहुत सारी अर्जियों पर सुनवाई हुई लेकिन उन्हें टाल दिया गया या अलग-अलग तारीखों के लिए सुरक्षित रख लिया गया।

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जमानत के लिए 1 करोड़ मांगने का आरोप

इस मामले में ACB को पहली शिकायत 30 दिसंबर, 2024 को ई-मेल के जरिए मिली थी। इसमें GST अफसर के रिश्तेदार ने आरोप लगाया था कि उन लोगों से अदालत के कुछ कर्मचारियों ने संपर्क किया था और GST अफसर की जमानत के लिए 85 लाख रुपए और अन्य आरोपियों से एक-एक करोड़ रुपए की रिश्वत की मांग की थी।

ACB ने लिखा था कि GST अफसर के रिश्तेदार के द्वारा लगाए गए आरोपों के मुताबिक, जब उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया तो उनकी जमानत याचिकाओं को एक महीने से ज्यादा वक्त के लिए लटका दिया गया और बाद में इन्हें खारिज कर दिया। इसके बाद एक आरोपी दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा। उनका कहना है कि उन्हें धमकाया गया कि वे हाई कोर्ट से अपनी अर्जी वापस ले लें वरना स्पेशल जज उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। इसके साथ ही एक करोड़ रुपए भी मांगे गए।

इसके अलावा एक और शिकायत भी इस मामले में ACB को मिली थी। इसमें एक शख्स ने कहा था कि उससे जनवरी के पहले हफ्ते में अदालत के अहलमद ने संपर्क किया और तीन आरोपियों को जमानत दिलवाने के लिए 15-20 लाख रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से रिश्वत मांगी।

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