रानी झांसी रोड स्थित कारखाना में जान गंवाने वाले मजदूरों में कई ऐसे थे, जो एक ही परिवार के सदस्य थे। क ई मजदूर ऐसे भी थे, जो एक ही गांव के रहने वाले थे। मजदूरों के परिवार और रिश्तेदारों का सोमवार को सुबह होते ही लोक नायक जयप्रकाश (एलएनजेपी) अस्पताल के शव गृह के बाहर जुटने लगे थे। नम आंखें बता रही थी कि परिजन कि तने बेबस और व्याकु ल हैं। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले दो सगे भाई इमरान और इक राम भी शामिल हैं। इस परिवार के दो अन्य सदस्य समीर और अशफाक की हादसे में मौत हो गई है। इन सभी की मौत दम घुटने से हुई थी। इसी प्रकार से गांव निरयार, जिला सहरसा, बिहार के चार मजदूर गयासुद्दीन (19), मोहम्मद फैजल (22), मोहम्मद रशीद (16) और मोहम्मद संजार (18) की मौत कारखाना में हो गई थी।
इनकी भी मौत दम घुटने से हुई थी। इन सभी के परिजन सोमवार को एलएनजेपी अस्पताल शव लेने पहुंचे थे। शव गृह के बाहर बातचीत के दौरान मुरादाबाद निवासी जमील अहमद ने बताया कि इस हादसे में उनके दो बेटे इमरान और इक राम की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि उनका बेटा इमरान रविवार सुबह गांव आने वाला था। देर रात को बात हुई थी। सब ठीक – ठाक बताया था। उसने क हा था कि काफी दिन हो गए हैं। वह गांव नहीं गया है। इस रविवार को कारखाना में काम बंद रहेगा। अच्छा मौका है माता-पिता से वह मुलाकात कर लेगा। उन्होंने बताया कि मुरादाबाद दूर नहीं होने की वजह से वह रविवार को आता था और शाम को दिल्ली के लिए लौट जाता था।
बिहार के ही गांव हरिपुर, जिला समस्तीपुर के रहने वाले गुड्डू, मोहम्मद सदरे और मोहम्मद साजिद की मौत हो गई थी। ये सभी एक ही गांव के रहने वाले थे और पिछले कुछ महीने से कारखाना में काम क र रहे थे। इसी प्रकार मोहम्मद गुलाब, सननाउल्ला, दुलारे और अब्बास गांव बुधनगड़ा, जिलस सीतामढ़ी, बिहार के रहने वाले थे। इस हादसे में अब्बास और इनूल अपास में रिश्तेदार थे। बुजुर्ग इनूल अब्बास के ससूर थे। इन सभी का दम घुटने से मौत हो गई थी। मोहम्मद फै जल के रिश्तेदार ने बताया कि बिहार के एक -दो गांव नहीं, बल्कि दर्जनों गांवों में मातम फैला हुआ है। वहीं, रिश्तेदार इमजियाज ने क हा कि उनकी मोहम्मद फैजल से रात को घटना से पहले बात हुई थी। उसने कहा था कि रविवार को मिलने आएगा। पर सुबह हुई तो मौत की सूचना मिली।
ऐसा ही एक अनाथ मुरादाबाद के रहने वाले अली अहमद (12) अपने पिता इकरान अहमद को खोया था। बेबस अली अपनी नानी के साथ पिता को देखने आए था। उसने बताया कि उसके पिता उसे इंजीनियर बनाना चाहते थे। वहीं, बिहार के समस्तीपुर निवासी मोहम्मद साजिद (25) भी इस अग्निकांड में भेट चढ़ गए। परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं, वे गांव में रहते हैं। उनके रिश्तेदार बाजिद अली ने बताया कि अभी जल्द ही गांव से लौटा था और बीती छह महीने से इस कारखाना में काम कर रहे थे। यह परिवार का इकलौता कमाने वाला था।
उनके ही गांव के रहने वाले मोहम्मद वाजिद (17) हादसे का शिकार हो गए। उसके परिवार में माता-पिता है। चार महीने पहले ही गांव से लौटा था। घर की आर्थिक स्थित खराब होने की वजह से कम उम्र में ही रोजगार की तलाश में दिल्ली चला आया था। नौकरी मिलने पर परिजन खुश थे, लेकिन कहां पता था कि जो बेटा दिल्ली कमाने गया है, दूसरों की लापरवाही की वजह से मौत के मुंह में चला जाएगा।
निर्भय कुमार पांडेय