आइआइटी कानपुर के एक अध्ययन में दिल्ली के वायु प्रदूषण में खतरनाक विवरण पाया गया है, जिसमें ‘पोलीसाइकलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन’ (पीएएच) भी मौजूद है। यह एक अत्यधिक जहरीला रसायन है और डीजल चालित वाहनों से निकलने वाले धुएं में घुला होता है। सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई मसौदा रिपोर्ट में पीएएच के अलावा पीएम (हवा में तैरने वाले महीन कण) 2. 5 के स्रोतों की पहचान की गई है, जिनमें सड़क से उड़ने वाले धूल कण से 38 फीसद, वाहनों से 20 फीसद, घरेलू ईंधन के दहन से 12 फीसद और औद्योगिक स्रोतों से 11 फीसद शामिल हैं।
सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरोनमेंट (सीएसई) स्वच्छ वायु अभियान की प्रमुख अनुमिता राय चौधरी ने बताया कि पीएएच बहुत कम मात्रा में भी पाए जाने पर बहुत घातक है और यह भ्रूण तक को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने बताया कि पीएएच जहरीली गैस है और इससे कैंसर होने की आशंका होती है। यह मुख्य रू प से ईंधन के रू प में डीजल के इस्तेमाल से पैदा होता है, जिनमें डीजल चालित कारें, जेनरेटर, कचरे को जलाया जाना शामिल है।
सरकार ने अध्ययन की मसौदा रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है। यह अध्ययन 2013 में शुरू किया गया था। लेकिन इसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। सरकार में मौजूद सूत्रों ने रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। प्रदूषण विशेषज्ञों ने बताया कि पीएएच की मौजूदगी इसलिए भी खतरनाक है कि यह शहर की वायु में पहले से मौजूद पीएम 2. 5 और पीएम 10 को अधिक खतरनाक बनाता है।
रायचौधरी ने बताया कि यह श्वसन तंत्र के अंदर तक जमा हो सकता है और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। रिपोर्ट में पीएम 2. 5 के अलावा नाइट्रोजन आॅक्साइड की भी शहर के लिए चिंता करने वाले प्रदूषक के रूप में पहचान की गई है। इसके मुख्य स्रोत बिजली संयंत्र, वाहन, डीजल चालित जेनरेटर सेट और घरेलू स्रोत है।