28 दिसंबर, एक ऐसी तारीख, जिस दिन देश की सबसे पुरानी पार्टी बनी। 128 साल बाद उसी दिन इस सबसे पुरानी पार्टी की नींव एक ‘आम आदमी’ ने हिला दी। बात हो रही है इंडियन नेशनल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की। 28 दिसंबर 1885 को वजूद में आने वाली इंडियन नेशनल कांग्रेस के बुरे वक्त की शुरुआत 2013 में हो गई थी। उस वक्त अरविंद केजरीवाल ने ‘आम आदमी पार्टी’ का गठन किया, जिसने 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली में पहली बार सरकार बनाई। कैसे एक आम आदमी, दिल्ली में ‘सबसे खास’ बना, जानते हैं इस रिपोर्ट में।
2011 में अन्ना ने छेड़ा था आंदोलन
बात 2011 की है, जब भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल लाने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर अन्ना हजारे ने 5 अप्रैल को भूख हड़ताल शुरू कर दी थी। उस वक्त तक देश में कॉमनवेल्थ और कोलगेट जैसे बड़े घोटालों का पर्दाफाश हो चुका था, जिन्हें लेकर जनता बेहद नाराज थी। अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल लाने का आंदोलन छेड़ दिया, जिसे जनता का भरपूर समर्थन मिला। उस वक्त हजारे के साथ पूर्व आईपीएस ऑफिसर किरण बेदी, पूर्व आईआरएस ऑफिसर अरविंद केजरीवाल, कवि कुमार विश्वास जैसे कई लोग थे। आंदोलन में लाखों की भीड़ उमड़ी, जिसे दबाने का सरकार ने पूरा प्रयास भी किया। अन्ना की जिद के सामने सरकार झुक गई और लोकपाल बिल पास कराने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इसके बाद भी लोकपाल बिल पास नहीं हुआ तो लोग अन्ना हजारे से राजनीति में आने और चुनाव लड़ने की अपील करने लगे, लेकिन अन्ना इससे राज़ी नहीं थे।
केजरीवाल ने लिया राजनीति में आने का फैसला
अन्ना के आंदोलन से जुड़े लोगों में भी इस बात को लेकर मतभेद था कि उन्हें राजनीति में जाना चाहिए या नहीं? ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में आने और चुनाव लड़ने का फैसला किया। केजरीवाल के इस कदम से अन्ना का आंदोलन फीका पड़ गया और दोनों के बीच मतभेद बढ़ गए। अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास, गोपाल राय आदि के साथ मिलकर ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) बनाई और दिल्ली की जनता को एक प्रशासक नहीं, बल्कि आम आदमी के सीएम बनने के सपने दिखाए।
2013 के विधानसभा चुनाव ने किया हैरान
2013 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस और बीजेपी को टक्कर देने के लिए आप मैदान में उतरी। नतीजे बेहद चौंकाने वाले थे। 28 सीटों के साथ आप सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि सत्ता पर 15 साल से काबिज कांग्रेस को महज 8 सीटें ही मिलीं। बीजेपी का रास्ता रोकने के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को बिना शर्त समर्थन दे दिया। इस तरह एक नई पार्टी के अगुआ अरविंद केजरीवाल 28 दिसंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए।
49 दिन में छोड़ दी सत्ता
सत्ता संभालने के बाद से ही अरविंद केजरीवाल कांग्रेस और बीजेपी पर काम नहीं करने देने का आरोप लगाते रहे। यहां तक कि सीएम होने के बावजूद वे धरने पर भी बैठे। 14 जनवरी 2014 को उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी पर जनलोकपाल बिल पास नहीं करने देने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया। केजरीवाल दिखाना चाहते थे कि उन्हें सत्ता का लोभ नहीं है, लेकिन मीडिया से लेकर राजनैतिक गलियारों में उन्हें अनुभवहीन और भगोड़ा कहा जाने लगा। हालांकि, जनता केजरीवाल के साथ डटी रही।
फिर दिल्ली ने रच दिया इतिहास
दिल्ली में एक बार फिर विधानसभा चुनाव हुए और इस बार आम आदमी पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी। पार्टी ने 67 सीटों के साथ दिल्ली जीतकर इतिहास रचा। कुल 70 सीटों में बीजेपी महज 3 सीट हासिल कर सकी, जबकि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। तब से अब तक अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता संभाल रहे हैं। कुछ विवादों तो कुछ अच्छे फैसलों के साथ लगातार मीडिया की सुर्खियों में बने रहते हैं। इस दौरान उनके साथ राजनीतिक सफर शुरू करने वाले कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव, कपिल मिश्रा, आशुतोष इस पार्टी से अलग हो चुके हैं। अब 2019 में पार्टी के कामकाज का लेखा-जोखा जनता ही करेगी।