छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पताल में एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां प्रसव के तुरंत बाद एक बच्चा डस्टबीन में जा गिरा और कुछ देर वहीं पड़ा रहा। इससे उसकी मौत हो गई। घटना राज्य के कोरिया जिले के बैकुंठपुर क्षेत्र की घटना है। बीते शुक्रवार (12 अक्टूबर) को हुई घटना ने राज्य में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही को उजागर किया है। पीडि़त महिला का नाम नसरीन खान बताया जाता है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि, “25 वर्षीय महिला, जिनका प्रसव होना था, उसे अकेला छोड़ दिया गया था। प्रसव के समय वहां कोई मौजूद नहीं था। वह दर्द से तड़पती रही, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। बच्चे की मौत के बाद जब महिला रोने लगी तो वहां मौजूद नर्सों ने उन्हें डांट दिया। यहां तक कि नसरीन की मां को लेबर टेबल साफ करना पड़ा।”

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार की सुबह चार बजे प्रसव दर्द के बाद नसरीन को बैकुंठपुर क्षेत्र स्थित जिला अस्पताल लाया गया था। नसरीन की मां अफरोज ने बताया कि एक घंटे बाद एक डॉक्टर द्वारा उनकी जांच की गई और फिर यूं ही छोड़ दिया गया। दिन करीब 10:30 बजे नसरीन को लेबर रूम में ले जाया गया, लेकिन जब वह अपनी बेटी के साथ उस रूम में गई तो यह देख हैरान रह गई कि वहां प्रसव कराने से संबंधित कोई भी सामान नहीं था।

अफरोज ने कहा, “नसरीन दर्द से तड़प रही थी, लेकिन आधे घंटे से अधिक समय तक न तो कोई डॉक्टर और न हीं कोई नर्स वहां पहुंची। जब ऐसा लगा कि अब नसरीन बच्चे को जन्म देने वाली है, वह दौड़ते हुए किसी डाॅक्टर को खोजने गई, लेकिन आसपास कोई नहीं मिला। इस बीच नसरीन ने बच्चे को जन्म दे दिया, जो टेबल से फिसलकर कचरे के डब्बे में जा गिरा। कुछ देर तक वहीं पड़ा रहा।” नसरीन की चीखें सुनकर अस्पताल के कुछ कर्मचारी वहां पहुंचे और बच्चे को कचरे के डिब्बे से बहार निकाला। उसे चेकअप के लिए दूसरे रूम में ले गए और फिर मृत घोषित कर दिया। प्राथमिक जांच में यह बात सामने आयी है कि नवजात को अंदरूनी चोट आ गई थी। इस पूरे मामले पर बैकुंठपुर जिला अस्पताल अधीक्षक सिविल सर्जन सुनील कुमार गुप्ता ने बताया, “यह घटना अस्पतालकर्मियों की लापरवाही और संवादहीनता को दिखाता है। रोग को उस लेबर रूम में शिफ्ट कर दिया गया था, जहां प्रसव की पूरी सुविधा उपलब्ध नहीं थी। मामले की जांच की जा रही है।”