दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की ओर से दायर दीवानी मानहानि मुकदमे पर विचार के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भाजपा के निलंबित सांसद कीर्ति आजाद से जवाब तलब किया है। डीडीसीए ने याचिका में कहा है कि केजरीवाल ने कुछ गलत, हतप्रभ करने वाले, झूठे, मानहानिपूर्ण, अपमानजनक, निराधार, दुर्भावना से प्रेरित और शर्मनाक बयान दिए। इससे उसकी छवि खराब हुई है। डीडीसीए ने केजरीवाल और आजाद से सार्वजनिक माफी मांगने को कहा है।

डीडीसीए की ओर से दायर मुकदमे पर विचार करने के बाद संयुक्त रजिस्ट्रार अनिल कुमार सिसोदिया ने याचिका को सुनवाई योग्य माना इसलिए प्रतिवादियों (केजरीवाल और आजाद) के लिए अपना रुख स्पष्ट करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रतिवादियों को दो मार्च से पहले अपना जवाब दाखिल करना होगा। डीडीसीए ने अपनी याचिका में कहा है कि केजरीवाल ने अपने पहले के मकसद के कारण हाल में कुछ गलत, हतप्रभ करने वाले, झूठे, मानहानिपूर्ण, अपमानजनक, निराधार, दुर्भावना से प्रेरित और शर्मनाक बयान दिए। ये हमारे लिए मानहानिकारक हैं। डीडीसीए के वकील संग्राम पटनायक ने कहा कि कीर्ति आजाद भी कुछ इसी तरह की बयानबाजी में शरीक रहे हैं। ये बयान अपने फायदे के लिए वादी (डीडीसीए) का अपमान करने और उन्हें नुकसान पहुंचाने के एजंडा के तहत दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि डीडीसीए में जूनियर स्तर पर चयन में वित्तीय अनियमितताएं और भ्रष्टाचार के संबंध में क्रिकेट संस्था के खिलाफ लगे आरोपों से उसकी छवि खराब हुई है। संग्राम पटनायक ने कहा, ‘इस वजह से, डीडीसीए को 500 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ। बहरहाल, इससे हुए नुकसान की भरपाई के लिए उसने प्रतिवादियों से कुल पांच करोड़ रुपए (ढाई-ढाई करोड़ रुपए) का हर्जाना मांगते हुए मौजूदा मुकदमा दायर करने का फैसला किया है।’ शिकायत के मुताबिक, ‘डीडीसीए ने केजरीवाल और आजाद दोनों से सार्वजनिक माफी मांगने की भी मांग की है।’

अपने और अपने परिवार के सदस्यों के खिलाफ कथित रूप से गलत और अपमानजनक बयान के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली पहले ही केजरीवाल और उनकी पार्टी के पांच अन्य नेताओं को हाई कोर्ट में घसीट चुके हैं। जेटली ने आप नेताओं से 10 करोड़ रुपए का हर्जाना मांगा हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के छह नेता भी केंद्रीय मंत्री की ओर से निचली अदालत में दायर आपराधिक मानहानि के मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

मुकदमा दायर करने वाले डीडीसीए और उसके कोषाध्यक्ष रवींद्र मनचंदा ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल ने बिना किसी न्यायोचित, पर्याप्त या ठोस सबूत के ऐसा बयान दिया है जिसने देशभर में सुर्खियां बटोरी। इन बयानों से क्रिकेट संस्था और उसके सदस्यों की छवि धूमिल हुई।

डीडीसीए और रवींद्र मनचंदा ने आजाद से भी पूछा कि आखिर इस तरह की गतिविधियों को खत्म करने के लिए ऐसी कथित घटनाओं को डीडीसीए को संज्ञान में लाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए बगैर ही करीब आठ साल तक उन्होंने चुप्पी क्यों साधे रखी।

शिकायत के मुताबिक, ‘डीडीसीए के खिलाफ इस तरह का बदनाम करने वाला और अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए प्रतिवादी नंबर 2 (आजाद) ने अपनी स्वप्रेरित सक्रियता दिखाने के लिए इसी वक्त का चयन किया जो साफ तौर पर डीडीसीए की प्रतिष्ठा को कम करने और उसे नुकसान पहुंचाने की उनकी मंशा दिखाता है।’ इसमें यह भी कहा गया है कि केजरीवाल और आजाद ने अपने जिम्मेदार रवैए के सभी सिद्धांतों और नियमों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया है।’