दिल्ली सरकार राजधानी में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की कार्यशैली से खासा नाराज है। खाली भूखंडों में जमा कूड़ा-कचरा और राष्ट्रीय राजधानी के रिज क्षेत्र में टूटी पड़ी चारदीवारियों को लेकर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हालिया बैठक में डीडीए के प्रति गहरी नाराजगी जताई। बैठक में मुख्यमंत्री ने डीडीए की खाली जमीनों पर लगे कूड़े के ढेरों पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि आसपास रहने वाली आबादी इन खाली भूखंडों को अघोषित डंपिंग ग्राउंड के रूप में इस्तेमाल कर रही है। ऐसे कूड़े के ढेरों में बार-बार आग लगने की घटनाएं होती हैं, जो वायु प्रदूषण को और गंभीर बनाती हैं।

बाजारों, सड़कों को नगर निगम, पीडबल्यूडी को सौंपने का फैसला

इसके अलावा, डीडीए के अधीन आने वाले बाजारों और सड़कों को दिल्ली नगर निगम और लोक निर्माण विभाग को सौंपने का निर्णय लिया गया है, ताकि इन सड़कों पर रात के समय भी मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) कराई जा सके और धूल-प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सके। मुख्यमंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए डीडीए को निर्देश दिए कि शहरभर में उनकी सभी खाली जमीनों से तत्काल कूड़ा-कचरा हटाया जाए। साथ ही दिल्ली रिज क्षेत्र की टूटी चारदीवारियों की मरम्मत प्राथमिकता पर कराई जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि डीडीए अपने सभी कार्यों की फोटोग्राफी कराए और दो सप्ताह के भीतर फोटो सहित पूरी एक्शन टेकन रपट मुख्यमंत्री कार्यालय में जमा करे।

वहीं, प्रदूषण नियंत्रण को लेकर डीडीए ने अपनी सफाई में बताया कि उसके अधीन सड़कों पर सात धुंध-रोधी प्रणाली और 47 पानी छिड़काव करने वाले वाहन तैनात हैं। डीडीए का दावा है कि उसकी खाली जमीनों की सफाई साल में दो बार की जाती है और यदि कहीं बड़ी मात्रा में मलबा मिलता है तो उसे प्राथमिकता के आधार पर हटाया जाता है। रिज क्षेत्र की चारदीवारियों की मरम्मत के लिए निविदा जारी कर काम भी शुरू कर दिया गया है।

कोहरे और प्रदूषण के बीच बढ़ी लापरवाही, हादसों पर भारी चुप्पी और जवाबदेही किसी की नहीं

उधर, यमुना की सफाई को लेकर दिल्ली सरकार ने कवायद तेज कर दी है। सरकार ने यमुना की सफाई के लिए 32 अत्याधुनिक और उच्च क्षमता वाली मशीनों की तैनाती को मंजूरी दे दी है। इस कदम से प्रदूषण को उसके स्रोत, यानी दिल्ली के नालों में ही रोकने में बड़ी मदद मिलने की उम्मीद है। सभी मशीनों के अगले वर्ष मार्च तक पूरी तरह चालू होने की संभावना है।

मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि यमुना की सफाई के लिए प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि निरंतर और ठोस कार्रवाई की जरूरत है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बिना उपचारित कीचड़, गाद और ठोस कचरे को यमुना में जाने से रोकना है। इसके लिए बड़े नालों की यांत्रिक सफाई की जाएगी।
सफाई अभियान की शुरुआत नजफगढ़ नाले से की जाएगी, जिसे यमुना में प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से अन्य प्रमुख नालों और यमुना के चिन्हित हिस्सों में सफाई कार्य किया जाएगा।

इस अभियान के तहत जिन 32 विशेष मशीनों को शामिल किया गया है। ये सभी मशीनें गहराई से गाद निकालने, कीचड़ निकासी, जलकुंभी और खरपतवार हटाने और जलभराव वाले दुर्गम क्षेत्रों की सफाई के लिए विशेष रूप से तैयार की गई हैं, जहां पारंपरिक तरीके वर्षों से असफल रहे हैं। योजना के पहले चरण की शुरुआत दिसंबर से होगी। इसके तहत एंफीबियस बहुउद्देशीय ड्रेजर फिनलैंड से दिसंबर के अंतिम सप्ताह में दिल्ली पहुंचेगा। जनवरी से सभी मशीनें पूरी क्षमता के साथ काम शुरू कर देंगी, जिससे यांत्रिक सफाई कार्य में तेजी आएगी।