दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) अपनी महत्वपूर्ण लैंड पूलिंग नीति के क्रियान्वयन में कोई प्रगति हासिल करने में नाकाम रहा है क्योंकि दिल्ली सरकार की ओर से अभी कई गांवों को विकास वाले गांव अथवा शहरी गांव घोषित किये जाने को लेकर अधिसूचना जारी किए जाने की प्रतीक्षा है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने बीते 26 मई को इस नीति को पांच संशोधनों के साथ अमल में लाने के लिए नियमन को मंजूरी दी थी जिसके बाद डीडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष बलविंदर कुमार ने कहा था, ‘‘गेंद अब दिल्ली सरकार के पाले में है।’’
डीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया, ‘‘गेंद अब काफी हद तक दिल्ली सरकार के पाले में है क्योंकि उसकी ओर से इस मोर्चे पर कोई प्रगति नहीं हुई है।’’ केंद्र सरकार की ओर से नियमन को स्वीकृति प्रदान करने के बाद कुमार ने कहा था, ‘‘ये दोनों आग्रह सरकार के पास आखिरी चरण में लंबित हैं। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही इस बारे में अधिसूचना जारी की जाएगी।’’
डीडीए के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने दिल्ली सरकार को पहले ही रिमाइंडर भेजे हैं लेकिन उसकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है। परंतु हम इस मुद्दे को हल करने और नीति का क्रियान्वित कराने के लिए काम कर रहे हैं।’’ लैंड पूलिंग नीति के तहत विकास में जमीन मालिकों को साझेदार बनाने का प्रावधान है तथा इसको दो श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी 20 हेक्टेयर और इससे अधिक भूमि तथा दूसरी श्रेणी 20 हेक्टेयर से कम की भूमि के लिए है।