उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम 10 मार्च को घोषित हो जाएंगे। इस तारीख का संबंध कहीं दिखे न दिखे लेकिन दिल्ली से सटे नोएडा के प्रमुख दफ्तर में इसका असर खूब दिख रहा है। यहां के नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण में दलाल इतनी तेजी से काम निपटा रहे हैं जैसे उनको नई सरकार के बारे में सब कुछ पता है।

यहां आचार संहिता के कारण डेढ़ माह से काम रुके हैं और अब जैसे ही दस मार्च को आचार संहिता हटेगी वैसे ही काम शुरू करने का दबाव बनाया जा रहा है। मार्च में ही दलाल किसान भूखंड नियोजन, भूलेख से पात्रता, नक्शे मंजूर कराने समेत अन्य कार्यों को कराने के लिए कार्यालयों से लेकर अधिकारियों के घरों तक पहुंच रहे हैं। बेदिल ने जब इस भागदौड़ के पीछे की मंशा जाननी चाही तो पता चला कि हो सकता है कि नया अधिकारी आ जाए जो काम न समझे और अगर समझ गया तो समय भी लग सकता है ऐसे में लोग जैसे-तैसे अपना काम करा रहे हैं। हालांकि कुछ पुराने ऐसे हैं जो चुनाव के बाद के हालात को जानते हैं इसलिए पहले ही छुट्टी लगाकर कहीं खिसकना चाह रहे हैं।

जीत ली जंग?
दिल्ली नगर निगम चुनावों को लेकर सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियां बीते कुछ महीनों से सदस्यता अभियान चला रही हैं। निगम की सत्ता पर 15 सालों से काबिज पार्टी और दिल्ली की लड़ाई में प्रमुख स्थान पा चुकी पार्टी भी समय-समय पर नए सदस्यों को पार्टी से जोड़ रही है। इसमें दलों के नेता भी शामिल हो रहे हैं। एक पार्टी का दावा है कि तकरीबन 20 लाख नए सदस्यों को पार्टी से जोड़ा गया है।

वहीं, एक अन्य पार्टी लाखों कार्यकर्ताओं को शामिल करने का दावा कर रही है। पर एक ऐसी पार्टी जो अपना पुराना रुतबा कायम करने के लिए संघर्ष कर रही है और निगम चुनाव में अच्छे की उम्मीद भी लगाए बैठी है। उस पार्टी ने मात्र डेढ़ लाख सदस्यों को पार्टी से जोड़ा है, लेकिन इसको लेकर पार्टी के नेता खूब गदगद हैं। इसको लेकर पार्टी ने कई कार्यक्रम आयोजित किए। यही नहीं, प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह भी बताने की कोशिश चल रही है पहली जंग जीत ली हो। हालांकि बात भी सही है, जहां असली नेता न टिक रहे हों वहां सदस्यों का जुड़ना भी जंग जीतने जैसा ही है। लेकिन असली जंग तो अब मैदान में है।
जुगाड़ का काम
राजधानी दिल्ली में स्थित एक नामी संस्थान के आलाकमान का कार्यकाल खत्म होने के कगार पर है। नए आला अधिकारी के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन पुराने आलाकमान को यह बात हजम नहीं हो रही है। इसकी बानगी बेदिल को भी देखने को मिली। मौका था एक समारोह की, जिसमें मौजूद खबर नवीस ने पुराने आलाकमान के उपलब्धियों व रह गई परियोजनाओं पर बातचीत करना चाहा। इस पर आलाकमान को गहरा झटका लगा और उन्होंने तपाक से कहा कि अभी तो मैं काम कर रहा हूं ,अभी नहीं जा रहा, इस पर बात बाद में करेंगे। सूत्रों से मालूम चला कि मौजूदा आलाकमान अंदरखाने एक और सेवाविस्तार (नियमंों के उलट) की जुगाड़ में लगे हैं।
बदलते दावेदार
इस बार निगम चुनाव का बुखार सबसे ज्यादा दिल्ली की एक अति उत्साहित पार्टी के नेताओं पर चढ़ा है। हर वार्ड में हर क्षण पोस्टर बदल रहे हैं और उनमें नेताओं की तस्वीर बदल रही है। क्योंकि दावेदारी और टिकट पक्का न होने के चलते सभी अपना दावा ठोंक रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि जैसे एक टिकट पर मानों सौ-सौ लोग की दावेदारी हो। जितने पोस्टर इस चुनाव में पार्टी छुटभैया नेताओं ने लगाए हैं उतने अब तक नहीं लगाए गए थे।

दरअसल यह काम छुटभैया नेताओं से बड़े नेता ही करा रहे हैं। उन्हें पोस्टर छपवाकर नेता बनने और दौड़ में शामिल होने के टिप्स दिया जा रहा है। लेकिन एक हिदायद के साथ! उन्हें केवल नाम व चेहरा बदलने की छूट दी गई है -पोस्टर का विवरण नही। पोस्टर पर एक ही चीज लिखने की इजाजत है। सबने वहीं लिखा भी है। सबका एमसीडी में केजरीवाल के आने का दावा है। किसी ने ठीक ही कहा- टिकट मिलने तक यह सिलसिला चलता रहेगा! बहरहाल टिकट तो एक को ही मिलनी है, तब आज के बाकी दावेदार अपनी जगह अपने विरोधी दावेदार की फोटो लगाते नजर आएंगे।
-बेदिल