केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) ने गुरुवार को मध्यप्रदेश वन विभाग के अधिकारियों से कहा है कि वे यहां स्थित वन विहार राष्ट्रीय पार्क के अंदर मैराथन जैसी गतिविधियों की अनुमति नहीं दें। इस वन विहार राष्ट्रीय पार्क को यहां चिड़ियाघर के नाम से जाना जाता है। केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने कहा कि मैराथन को चिड़ियाघर के अंदर अनुमति प्रदान नहीं है, क्योंकि सुबह व शाम की सैर या साइकिलिंग को भी प्राधिकरण के मानदंडों के अनुसार प्रतिबंधित किया गया है। प्राधिकरण ने कहा कि मैराथन में काफी तादात में लोग शामिल होते हैं, इसलिए इसकी अनुमति चिड़ियाघर में नहीं दी जानी चाहिए। इस महीने के शुरुआत में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने मैराथन को इस चिड़ियाघर से गुजरने की अनुमति दी जाने के लिए भोपाल वन विहार राष्ट्रीय पार्क प्रबंधन सहित मध्यप्रदेश वन विभाग के अधिकारियों ने स्पष्टीकरण मांगा था।

केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के सदस्य सचिव डॉ डीएन सिंह ने गुरुवार को बताया कि मैराथन में बहुत सारे लोग भाग लेते हैं और इसमें सहायतार्थ वाहन व अन्य लोग भी होते हैं। इसलिए इसे चिड़ियाघर प्रबंधन द्वारा अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इससे चिड़ियाघर अधिनियम-2009 का उल्लंघन होता है। प्राधिकरण ने इस मामले में पहले ही मानदंड जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि भोपाल वन विहार चिड़ियाघर प्रबंधन को सलाह दी जाती है कि भविष्य में चिड़ियाघर परिसर के अंदर इस प्रकार की गतिविधि को अनुमति न दें।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने यह कदम वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे की शिकायत पर उठाया है। दुबे ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि चिड़ियाघर के अंदर मैराथन करने से बहुत शोरगुल होता है, जिसके चलते वहां रहने वाले जानवर परेशान होते हैं।

शिकायत के बाद केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने पांच दिसंबर को वन विहार को नोटिस जारी किया था। इस नोटिस का जवाब देते हुए वन विहार प्रबंधन ने उन पर लगाए गए आरोपों को सिरे से नकार दिया था और कहा कि मैराथन में केवल 430 लोगों को ही चिड़ियाघर के अंदर प्रवेश करने की अनुमति दी गई। इसने जानवरों पर कोई खलल नहीं डाला। उन्होंने यह भी कहा कि यह ‘वन्यजीव संरक्षण व जागरुकता मैराथन’ थी।

प्राधिकरण ने शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर पाया कि मैराथन में भाग लेने वाले धावक व इससे जुड़े हुए वाहन जानवरों के बाड़ों से काफी नजदीक से गुजरे। दुबे ने बताया कि मैं इस मामले को अदालत में ले जाऊंगा। इसके अलावा, मैं दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) को भी लिखूंगा। इसी बीच, मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) जितेंद्र अग्रवाल ने बताया कि हमने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा पूर्व में दिए गए पत्र का जवाब पहले ही दे दिया है। अग्रवाल ने कहा कि मुझे केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के गुरुवार के पत्र के बारे में जानकारी नहीं है। यह जब भी मेरे पास आएगा, मैं तब उसके बारे में विचार करूंगा।