जम्मू कश्मीर सरकार ने आज कहा कि कल ईद-उल-अजहा पर कर्फ्यू लगाना ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ निर्णय था लेकिन अलगाववादियों के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय तक एक मार्च निकालने के आह्वान के कारण लोगों की जान माल की सुरक्षा के लिए ऐसा ‘मजबूरन’ करना पड़ा। वरिष्ठ मंत्री और सरकार के प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा कि यह कदम 2010 में घटी ऐसी ही एक घटना की पुनरावृत्ति होने से बचने के लिए उठाया गया जब प्रदर्शनकारियों ने ईद की नमाज के बाद हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूख के नेतृत्व में एक मार्च में हिस्सा लेते हुये ‘विध्वंसक कार्रवाई’ की थी।
इस विवादास्पद निर्णय को लेने की मजबूरी के बारे में उन्होंने फोन पर ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि, ‘‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था कि हमें कर्फ्यू लगाना पड़ा। लेकिन यह निर्णय एक विशेष परिस्थिति में लिया गया जिसमें कुछ लोगों ने संयुक्त राष्ट्र कार्यालय तक एक मार्च निकालने का आह्वान किया था।’
उन्होंने बताया, ‘‘हमें कर्फ्यू लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस तरह का एक कदम उठाना किसी भी सरकार की छवि के लिए किसी भी तरह से ठीक नहीं है लेकिन कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।’ अलगाववादी हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद नौ जुलाई से आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने ईद-उल-अजहा के मौके पर कल संयुक्त राष्ट्र कार्यालय तक एक मार्च निकालने का आह्वान किया था और सरकार इसे विफल करने के लिए प्रतिबद्ध थी।