राजस्थान में भारी बारिश ने कहर मचा रखा है। राज्य के कई गांवों में पानी भर गया है, जबकि कई दूसरे गांव चारों ओर से पानी से घिर गए हैं। इससे उनका संपर्क टूट गया। कोटा बैराज बांध से पिछले 3 दिनों से 9.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इससे भिंड जिले के अटेर क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक गांव डूबने की स्थिति में पहुंच गए हैं। चंबल नदी का जल स्तर भी खतरे के निशान से ऊपर हो गया है। नदी में लगातार पानी बढ़ने से गांव के पहुंच मार्ग डूब गए हैं।

सात गांव के 1500 ग्रामीण गांव में फंसे : रास्ता बंद हो जाने से सात गांव के 1500 लोग गांव में ही फंसे हुए हैं। प्रशासन ने आर्मी जवान और पुलिस की सहायता से उनको सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए रेस्क्यू शुरू कर दिया है। सोमवार की सुबह से ही पुलिस प्रशासन और क्यूआरएफ की टीम राहत और बचाव कार्य मे जुट गई है। जिला कलेक्टर छोटे सिंह और पुलिस अधीक्षक रुडोल्फ अल्वारेस ने खुद मोर्चा संभाला और गांव-गांव जाकर मुनादी की। साथ ही प्रभावितों को गांव से निकलकर राहत शिविर में पहुंचने की सलाह दी।

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ग्रामीण गांव छोड़कर जाने के लिए राजी नहीं : चंबल नदी के किनारे के मुकुटपुरा, नावली वृंदावन, खैराट, दिन्नपुरा, कोषड, मढैया, रमा कोट और नखलौली मडैया और चिलोंगा सहित एक दर्जन गांवों में जल स्तर बढ़ रहा है। बावजूद इसके ग्रामीण अपना घर, मवेशियों और गांव को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं हो रहे है। अकेले मुकुटपुरा गांव में ही चार सौ ग्रामीण फंसे हुए थे, जिन्हें बड़ी मुश्किल से प्रशासन बाहर निकाल सका। चंबल का पानी तेजी से इन गांवों की तरफ बढ़ रहा है। बड़ी संख्या में फंसे ग्रामीणों को निकालने के लिए आर्मी की एक टीम को तैनात किया गया है। कुछ स्थानों पर ग्रामीण डूब क्षेत्र में आने के बाद भी नहीं निकल रहे हैं। इससे बचाव दल को खासी परेशानी हो रही है।

23 साल बाद दिखा चंबल का रौद्र रूप : राज्य में चंबल नदी का इतना भयानक रूप 23 साल बाद देखने को मिला है। नदी के बढ़ने से क्षेत्र में किसानों की हजारों एकड़ में खड़ी फसल बर्बाद हो गई। हालात पर नजर रखने के लिए चंबल आईजी और कमिश्नर के साथ-साथ स्थानीय जन प्रतिनिधि भी पहुंचे हैं। इस बीच जिला कलेक्टर ने सभी शासकीय कर्मचारियों की छुट्टी निरस्त करने के साथ अटेर क्षेत्र के स्कूलों में छुट्टी के आदेश जारी कर दिए हैं।