भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी और पंजाब की प्रमुख राजनीतिक पार्टी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के भीतर दो फाड़ होने की खबरें आ रही हैं। हाल में पार्टी के दूसरे नंबर पर सबसे कद्दावर माने जाने वाले राज्य सभा सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा और शिअद के पूर्व सदस्य और वरिष्ठ नेता बलदेव सिंह माखा ने पार्टी से इस्तीफा दिया था। अब ऐसी खबरें चल रही हैं कि वरिष्ठ नेताओं का एक वर्ग पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को लेकर नाराज चल रहा है। सुखबीर बादल पर तानाशाही रवैये के तहत काम करने का आरोप लगा रहा है। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से खबर चलाई है कि शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के साथ कई मुद्दों पर वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सुखबीर बादल पर आरोप लगाया है कि वह अनुभवी नेताओं को नजरअंदाज कर कम अनुभवी नेताओं को जिम्मेदारियां सौंप रहे हैं। बड़ा आरोप यह भी है कि गुरु ग्रंथ साहिब बेअदबी मामले में सुखबीर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और जेल की सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम का बचाव कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने 100 करोड़ रुपये की मांग रखी है।

शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने पार्टी में दो फाड़ की खबरों का खंडन किया है और मीडिया से बात करते हुए कहा, ”हर नेता की अपनी राय है, हमारी पार्टी एक परिवार की तरह है, हम बैठकर सारे मसले हल करेंगे।” पार्टी नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा ढींडसा के इस्तीफे और मौजूदा विवाद को लेकर कहा, ”ढींडसा साब पार्टी के बहुत सीनियर और बहुत प्रतिबद्ध नेता है.. बहुत लंबा समय उन्होंने बादल साब के साथ.. हर मुश्किल में पार्टी के लिए काम किया.. अब भी काम करते हैं.. लेकिन हम सभी जानते हैं उनकी सेहत काफी देर से ठीक नहीं चल रही.. वो पहले भी.. मेरे साथ लगातार बात करते हैं, फिर जब मुश्किल आती है तो हम सभी उनकी प्रॉब्लम को समझते हैं.. इसलिए अगर हेल्थ को लेकर उन्होंने कहा है कि मेरा बोझ जो है वो घटाना चाहिए तो उसको नकारात्मक तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।”

स्थानीय मीडिया के मुताबिक सुखदेव सिंह ढींसडा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए संगरूर से अपनी बहू गगन ढींडसा के लिए टिकट मांग रहे थे लेकिन सुखबीर बादल इस सीट से किसी फिल्म स्टार को उतारने का मन बना रहे हैं, इसी गहमा-गहमी के चलते ढींडसा ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।