कोरोना वायरस के नए वेरिएंट एक्सई ने अब गुजरात में दस्तक दे दी है। यहां एक 67 वर्षीय बुजुर्ग में इस नए वेरिएंट की पुष्टि हुई है। 12 मार्च को यह शख्स कोरोना संक्रमित हुए थे, इसके बाद जांच के लिए भेजे गए नमूनों में नए वेरिएंट की पुष्टि हुई है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज अग्रवाल ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि यह शख्स मुंबई से वडोदरा आया था। 12 मार्च को तबीयत खराब होने पर टेस्ट किया तो पता चला कि वह कोरोना संक्रमित हैं। अग्रवाल ने बताया, “गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर ने 12 दिन पहले मरीज में एक्सई वेरिएंट का पता लगाया था। इसके बाद INSACOG दिशा-निर्देशों के अनुसार, पुष्टि के लिए नमूने कोलकाता प्रयोगशाला (DBT- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (NIBMG), कल्याणी) को भेजे गए। मरीज में एक्सई वेरिएंट की पुष्टि की रिपोर्ट शुक्रवार (8 अप्रैल) रात को मिली। मरीज के करीबी संपर्कों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।”

वडोदरा में चिकित्सा अधिकारी डॉ देवेश पटेल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “67 वर्षीय मरीज मुंबई के रहने वाले हैं, जो अपनी पत्नी के साथ वडोदरा के दौरे पर आए थे। इस दौरान उनकी तबीयत खराब हुई तो उन्होंने कोरोना का टेस्ट करवाया। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद वे मुंबई वापस लौट गए और होम क्वारंटीन हो गए। उनकी वडोदरा में किसी से मुलाकात नहीं हुई।”

बीएमसी का दावा- साउथ अफ्रीका से लौटी महिला एक्सई वेरिएंट संक्रमित
इस सप्ताह की शुरुआत में, साउथ अफ्रीका से लौटी एक 50 वर्षीय महिला के एक्सई वेरिएंट से संक्रमित होने की सूचना मिली थी। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस रिपोर्ट का खंडन कर दिया था। इस पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार आपस में भिड़ गए। बुधवार (6 अप्रैल) को बीएमसी ने दावा किया था कि एक महीने पहले साउथ अफ्रीका से लौटी एक महिला में एक्सई वेरिएंट की पुष्टि हुई है। वहीं, केंद्रीय एजेंसियों ने सवाल उठाते हुए इसे खारिज कर दिया।

अन्य वेरिएंट की तुलना में 10 फीसद ज्यादा तेजी से फैलता है नया वेरिएंट
कोरोना का नया वेरिएंट एक्सई, ओमिक्रोन के बीए.1 और बीए. 2 स्ट्रेन्स से मिलकर बना है। ब्रिटेन समेत कई देशों में अचानक से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, जिसके लिए इस वेरिएंट को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन कह चुका है कि यह वेरिएंट अन्य की तुलना में 10 फीसद ज्यादा तेजी से फैलता है। इसका पहला मामला 19 जनवरी को ब्रिटेन में मिला था।