महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के एक पार्षद ने सोमवार (7 सितंबर, 2020) को पुणे महानगर पालिका के एक अधिकारी की गाड़ी पर खूब डंडे बरसाए। पार्षद वसंत मोरे का आरोप था कि रविवार को अस्पताल में उनके एक रिश्तेदार की कोविड-19 से मौत हो गई और शव को ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं पहुंची। खबर लिखे जाने तक इस घटना के संबंध में अभी तक पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है। कोविड-19 मरीजों की मौत होने पर शवदाह गृह तक पहुंचाने का काम महानगर पालिका के वाहन डिपो का है।

पार्षद वसंत मोरे ने आरोप लगाया कि उनके परिवार वालों को रविवार दोपहर को एम्बुलेंस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा जिससे रिश्तेदार के अंतिम संस्कार में देर हुई। उन्होंने कहा कि मरीज की मौत के साढ़े तीन घंटे बाद भी एंबुलेंस नहीं मिल सकी। वो सिर्फ विद्युत सुविधाओं पर ही अंतिम संस्कार करा रहे हैं। अगर पुणे में लोगों को एंबुलेंस नहीं मिल रही हैं तो अधिकारियों को भी वाहनों में जाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि महानगर पालिका के प्रति गुस्से का इजहार करने के लिए विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की कार को नुकसान पहुंचाया।

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घटनाक्रम पर सोशल मीडिया यूजर्स भी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कपिल पालीवाल @Ich_bin_Kapil लिखते हैं, ‘सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का अधिकार उन्हें किसने दिया। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इन दिनों महाराष्ट्र में हो क्या रहा है।’ अभिनव चौबे @IAbhinavChaubey लिखते हैं, ‘क्या ये वही लोग नहीं है जो गरीब उत्तर भारतीयों को पीटते हैं। खुद पर जब बीत रही है तो दर्द हो रहा है।’

इसी तरह महेश @Mee_mahesh लिखते हैं, ‘प्रशासन बेकार है, इससे आम आदमी बच नहीं सकता।’ दीपक @deepak2weet लिखते हैं, ‘जब खुद पर बात आती है तो पब्लिक याद आ गई।’ राहिल @chotulalasabka लिखते हैं, ‘ये खुद तो जगुआर में घूमते हैं। उसे नुकसान क्यों नहीं पहुंचाते।’ रजत सिंहाल @coolingheels लिखते हैं, ‘साढ़े तीन घंटे, मृतक का अंतिम संस्कार करने की इतनी जल्दबाजी क्या है।’