शादी में मिलने वाले गिफ्ट और दहेज को लेकर कई बार मामले कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। दहेज उत्पीड़न के मामले में कई बार झूठे केस भी दर्ज किए जाते हैं। ऐसे ही मामलों के संज्ञान में आने के बाद हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3(2) के तहत विवाह के समय दूल्हा या दुल्हन को मिले उपहारों की सूची बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया है। हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि शादी में मिलने वाले गिफ्ट की लिस्ट बनाई जाए। इस लिस्ट पर दूल्हा और दुल्हन के साइन भी होने चाहिए। इस मामले में अगली सुनवाई 23 मई को होगी।
हाईकोर्ट ने क्यों की टिप्पणी
हाईकोर्ट का मानना है कि यह झूठे दहेज के आरोपों और इसके बाद होने वाले विवादों को रोकने में यह मदद करेगा। हाईकोर्ट में जस्टिस विक्रम डी. चौहान ने कहा कि गिफ्ट की सूची पर दोनों पक्षों और उनके परिवार के सदस्यों को बाद में शादी में दहेज लेने या देने का झूठा आरोप लगाने से रोकने में मदद करेगी। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर सरकार से हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इसमें सरकार को बताना होगा कि दहेज प्रतिषेध अधिनियम के रूल 10 के अन्तर्गत कोई नियम प्रदेश सरकार ने बनाया है?
दहेज लेने पर कितनी सजा का प्रावधान
बता दें कि दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3 में दहेज देने या लेने पर कम से कम 5 साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा कम से कम 50000 रुपये या दहेज के मूल्य के बराबर राशि, जो भी अधिक हो, जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के मुताबिक विवाह के समय दूल्हे या दुल्हन को जो उपहार दिए जाते हैं और जिनकी मांग नहीं की गई है। उन्हें दहेज की नहीं माना जा सकता है। अगर ऐसे उपहारों की सूची नियम के अनुसार बनाई गई हो। दहेज निषेध (दूल्हे और दुल्हन को उपहारों की सूची का रखरखाव) नियम, 1985 का नियम 2 धारा 3(2) के तहत उपहारों की सूची को बनाए रखने के तरीके को निर्धारित करता है।
कोर्ट ने क्या कहा
हाईकोर्ट ने कहा कि विधायिका ने जानबूझकर शादी में दूल्हा और दुल्हन को मिलने वाले गिफ्ट को दहेज की परिभाषा से बाहर रखा है। हालांकि इस छूट का फायदा लेने के लिए दूल्हा-दुल्हन को गिफ्ट की सूची बनानी जरूरी है। यह लिस्ट दहेज के आरोपों को खत्म करने के लिए एक उपाय के रूप में भी काम करेगी जो बाद में वैवाहिक विवाद में लगाए जाते हैं।
हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि क्या “विवाह के पंजीकरण के समय, दहेज निषेध (दूल्हे और दुल्हन को उपहारों की सूची का रखरखाव) नियम, 1985 के अनुसार आवश्यक उपहारों की सूची अधिकारियों द्वारा ली जा रही है और बनाए रखी जा रही है, ताकि बाद में शादी में दिए जाने वाले गिफ्टों को दहेज के रूप में नामित करने के संबंध में विवाह के पक्षों के बीच विवाद हो, तो इसे वेरिफाई किया जा सके।
(इनपुट-एजेंसी)