Uttarakhand Conversion Law: उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने बुधवार को धर्मांतरण रोधी कानून में जबरन धर्मांतरण के दोषी के लिए सजा के प्रावधान को 10 साल किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह मंजूरी दी गई। आधिकारिक सूत्रों ने देहरादून में बताया कि धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत 2018 में प्रदेश में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम बनाया गया था, लेकिन वर्तमान में परिवर्तित परिस्थितियों के मद्देनजर इसे और अधिक सशक्त बनाये जाने के लिए उत्तर प्रदेश की तरह इसमें संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।

उन्होंने बताया कि इस संशोधन के तहत जबरन धर्मांतरण को संज्ञेय अपराध मानते हुए 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान प्रस्तावित है। सूत्रों ने कहा कि 2018 अधिनियम में जबरन धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान है। सूत्रों ने बताया कि इस संशोधन को जल्द ही राज्य विधानसभा में लाया जाएगा।

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लालच, धोखा, बल और प्रलोभनों के दम पर किए गए धर्मांतरण की घटनाओं को रोका जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये देश की सुरक्षा के लिए भी खतरनाक हो सकते हैं। सोमवार (14 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर इस प्रथा को नहीं रोका गया तो यह नागरिकों के विवेक की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के लिए भी कई तरह से खतरा पैदा करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को इस तरह के जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए आगे आना होगा।

कैबिनेट की बैठक में कई अन्य प्रस्ताव भी पारित

इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय को नैनीताल से हल्द्वानी स्थानांतरित किए जाने के प्रस्ताव को भी सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया। बैठक में राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं को व्यवसायिक एवं व्यवहारिक रूप देने के लिए 74:26 की अंशधारिता के साथ टीएचडीसी (इण्डिया) लिमिटेड एवं यूजेवीएन लिमिटेड के मध्य संयुक्त उपक्रम के गठन को भी स्वीकृ​ति दी गई।

‘ओम’ कलाकृति बनाए जाने को भी दी मंजूरी

इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने केदारनाथ धाम ‘एरावइल प्लाजा’ में विशिष्ट प्रकार की ‘ओम’ कलाकृति बनाए जाने के प्रस्ताव को भी मंत्रिमंडल ने अपनी मंजूरी दे दी।