कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ता आज केंद्र के भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध करते हुए सड़क पर उतरे जहां उनकी पुलिस के साथ झड़प हुई। पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार को किसान विरोधी करार दिया।

जंतर-मंतर से संसद मार्ग की ओर बढ़ रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अवरोधकों को तोड़ने का प्रयास किया जिसके बाद पुलिस ने लाठी चार्ज किया और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इससे भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह सहित कुछ लोग घायल हो गए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं गुलाब नबी आजाद, आनंद शर्मा, जयराम रमेश, अंबिका सोनी, अहमद पटेल ने जंतर-मंतर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। पार्टी के अध्यक्ष सोनिया गांधी इस प्रदर्शन में नहीं पहुंचीं लेकिन अहमद पटेल के जरिए संदेश भेजकर प्रदर्शनकारियों के प्रति एकजुटता प्रकट की। पटेल ने सोनिया गांधी का संदेश पढ़ते हुए कहा, ‘‘सोनिया जी ने कहा है कि वह हमेशा उन लोगों के साथ हैं और आंदोलन का साथ देना और समर्थन करना जारी रखेंगी।’’

आजाद ने राज्यसभा में इस विधेयक को पारित होने से रोकने का वादा करते हुए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को संप्रग सरकार की ओर से लाए गए खाद्य सुरक्षा कानून को कमजोर करने का प्रयास करार दिया। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘‘आप संसद के बाहर प्रदर्शन जारी रखिए, हम विधेयक को संसद में पेश किए जाने पर उसे पारित नहीं होने देंगे।’’

‘किसान विरोधी नरेन्द्र मोदी’ होने का नारा लगाते हुये वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, राज बब्बर, रणदीप सुरजेवाला, सचिन पायलट, कुमारी सैलजा, दीपेंद्र हुड्डा, अजय माकन और युवा कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा बरार के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने यहां जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।

उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के भट्टा-परसौल गांव से जयराम रमेश के नेतृत्व में शुक्रवार को पैदल मार्च शुरू हुआ था और कल रात यह यहां राजघाट पहुंचा। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 में पारदर्शिता एवं उचित मुआवजे के अधिकार की खातिर प्रस्तावित संशोधन के लिये लाये गये विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘10 लाख के सूट’ को लेकर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘एक साबरमती के संत (गांधी) थे जिन्होंने सादी जीवनशैली में विश्वास किया और आज हमारे एक ‘साबरमती के महंत’ (मोदी) हैं जो 10 लाख रुपये का सूट पहनते है। वे घर वापसी की बात करते हैं जबकि हम जमीन वापसी की बात करते हैं।’’उन्होंने कहा, ‘‘संशोधनों के खिलाफ संसद और बाहर :हमारी: लड़ाई जारी रहेगी। हम इसके खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखेंगे।’’

विधेयक में सहमति के प्रावधान को ‘हटाने’ के सरकार के कदम पर बब्बर ने आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम पूरी तरह संशोधनों के खिलाफ हैं। (प्रस्तावित) कानून में किसानों को अपने जमीन के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। अगर मैं आपसे केवल कलम लेता हूं तो भी आपसे पूछूंगा। ऐसे में कैसे किसी किसान, जिसके लिए जमीन उसकी मां समान होती है, की सहमति के बिना उसे इसे दूसरे के हवाले करने को कहा जा सकता है।’’

सुरजेवाला ने कहा कि किसानों के साथ मिल कर कांग्रेस का यह आंदोलन मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र के ‘किसान विरोधी रवैये’ को बेनकाब कर सकें। उन्होंने कहा ‘‘यह भट्टा-परसौल से संसद तक भारतीय युवा कांग्रेस की रैली है। मोदी का काला कानून गायब हो जाएगा। भाजपा का किसान विरोधी चेहरा बेनकाब हो जाएगा। कांग्रेस और किसान दोनों की जीत होगी।’’