दिल्ली कांग्रेस के 280 प्रतिनिधियों में कुछ निवर्तमान पार्षदों को भी छांट दिया गया है। पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़े और नगर निगम में आला पदों पर काम कर चुके कुछ वरिष्ठों को प्रतिनिधि की सूची में अपना नाम नहीं दिखना नागवार गुजर रहा है। दिल्ली में वार्ड के हिसाब से एक-एक प्रतिनिधि बनाए जाते हैं। नई दिल्ली और दिल्ली कैंट निगम से अलग है अलबत्ता वहां से चार-चार प्रतिनिधि बनाए गए हैं।
एकीकरण से पहले निगम के आयानगर से कांग्रेसी पार्षद वेदपाल, मटिया महल की पार्षद सीमा ताहिरा, गोविंदपुरी से निगम पार्षद चंद्रप्रकाश, आनंद पर्वत की पार्षद और उत्तरी निगम में सदन की नेता रही प्रेरणा सिंह और जमनापार की प्रवीण कांग्रेस की प्रतिनिधि सूची से बाहर है। इसके अलावा कई वरिष्ठ पार्षदों और पार्टी के बड़े ओहदे पर रहे निगम में सदन कि नेता रहे जितेंद्र कोचर और नई दिल्ली जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्याग पत्र दे चुके (अभी स्वीकार नहीं) और निगम पार्षद रहे वीरेंद्र कसाना, जमनापार से जिला अध्यक्ष जावेद अहमद भी सूची से बाहर हैं।
दिल्ली के प्रतिनिधि में वरिष्ठों को तरजीह नहीं देना कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को नागवार गुजर रहा है। विधानसभा का चुनाव लड़ चुके, डीडीए में पार्टी के नामित सदस्य जितेंद्र कोचर कहते हैं कि वक्त का तकाजा है कि सबको साथ लेकर चलने से ही पार्टी मजबूत होगी। लेकिन प्रदेश कांग्रेस की अपनी सोच है। कोचर कहते हैं कि हो सकता है कि उनकी अपनी सोच बेहतर हो लेकिन हमलोग पार्टी के सिपाही हैं जहां राष्ट्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व चाहे, हमारी उपयोगिता सिद्ध कर सकती है।
वहीं, वीरेंद्र कसाना का कहना है कि पार्टी के अलग-अलग पदों पर रहे वरिष्ठों को नियमानुसार प्रतिनिधि में समाहित किया जाना चाहिए। लेकिन मौजूदा नेतृत्व की भी अपनी समझ और वरिष्ठों को कहां समाहित किया जाए इसकी सोच है। अलबत्ता मेरे जैसे कुछ पार्टी कार्यकर्ता इस सूची में नहीं है। प्रेरणा सिंह का कहना है कि पार्टी में नए लोगों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिनिधि बनाए जाते हैं, पुराने लोगों को दूसरी जरूरी जिम्मेदारी दी जाती है। प्रेरणा कहती हैं कि उनके पति डेलीगेट हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- नामित कर लिए जाएंगे
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा, “राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की एक प्रक्रिया है, जिसके तहत सदस्यता के लिए ब्लाक स्तर पर प्रतिनिधि का चुनाव होता है। महीनों माथापच्ची के बाद सूची बनाई जाती है। इसी के तहत 280 प्रतिनिधि दिल्ली में भी बनाए गए हैं। बावजूद इसके जो चुनकर नहीं आते हैं उन्हें पार्टी वरिष्ठता को देखते हुए नामित कर लेते हैं। दिल्ली कांग्रेस के छूटे गए वरिष्ठों को खुद ब खुद नामित कर लिए जाएंगे। इसमें किसी भी प्रकार की मायूस होने का सवाल ही नहीं है।”