राजस्थान में मचे सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुरुवार (29 सितंबर, 2022) को दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। मुलाकात से पहले उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पार्टी में किसी भी तरह से अनुशासन में कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों में मीडिया में राजस्थान को लेकर जो आया है वो छोटी-मोटी बातें हैं और इस तरह की चीजें हो जाती हैं।
गहलोत के तीन करीबी सहयोगियों को राजस्थान में आए सियासी संकट के लिए लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रदेश प्रभारी अजय माकन की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट के बाद पार्टी हाईकमान ने तीनों विधायकों के खिलाफ कारण बताओ नोटिस भेजा था।
माकन ने बागी विधायकों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में महेश जोशी, धर्मेंद्र पाठक और शांति धारीवाल इन तीन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की सलाह दी गई थी। राज्य में चल रहे सियासी ड्रामे के लिए इन तीन विधायकों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। दरअसल, रविवार को खड़गे और माकन जयपुर में विधायक दल की बैठक के लिए पहुंचे थे, लेकिन विधायकों ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था और एक समानांतर बैठक की। इस बैठक में उन्होंने अगले मुख्यमंत्री पर एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि सचिन पायलट या उनके खेमे से कोई मुख्यमंत्री ना बनाया जाए।
गहलोत ने कहा, “कांग्रेस में हमेशा अनुशासन रहा है। यह आज भी पार्टी की परंपरा है।” उन्होंने कहा, “मीडिया में जो चल रहा है वह छोटे-मोटी बातें हैं, ये चीजें आंतरिक राजनीति में होती हैं और यह घर की बात है।”
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव के चलते राजस्थान में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। अध्यक्ष पद की रेस में अशोक गहलोत का भी नाम सामने आ रहा था और उनके यह चुनाव जीतने की प्रबल संभावना भी जताई जा रही थी। हालांकि, राहुल गांधी ने संकेत दिए थे कि अशोक गहलोत अगर अध्यक्ष बनते हैं तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी होगी। इसके बाद राजस्थान में बगावत शुरू हो गई और गहलोत खेमे के सदस्यों ने दावा किया कि मुख्यमंत्री दोनों पद संभाल सकते हैं। विधायकों ने यह भी साफ किया कि वह सचिन पायलट या उनके गुट से किसी को भी मुख्यमंत्री बनते देखना नहीं चाहते हैं।