पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के गुरुवार को आए रुझानों से अब साफ हो चुका है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के हाथों से दो और राज्य-केरल और असम छिन चुके हैं। कांग्रेस के लिए इकलौती राहत की बात केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी से है, जहां वो डीएमके साथ सरकार बनाते दिख रही है। पश्चिम बंगाल में लेफ्ट के साथ जबकि तमिलनाडु में डीएमके के साथ किया गया कांग्रेस का गठबंधन काम नहीं आया। बिहार में महागठबंधन के साथ मिली कामयाबी से कांग्रेस की जो उम्मीद बंधी थी, अब वो पूरी तरह टूट चुकी है।
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पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का जो नारा दिया था, उस दिशा में भाजपा एक कदम और आगे बढ़ी है। ताजा रुझानों को नतीजे मान लें तो कांग्रेस के पास अब सिर्फ इन राज्यों में सत्ता बची है-कर्नाटक, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के अलावा केंद्र शासित पुदुचेरी। बिहार की बात करें तो वो सत्ताधारी गठबंधन की सबसे छोटी सहयोगी के तौर पर है। देखा जाए तो राजनीतिक तौर पर अहम सिर्फ एक बड़े राज्य कर्नाटक में ही कांग्रेस की सत्ता है। बाकी राज्य बेहद छोटे हैं और राष्ट्रीय राजनीति में ज्यादा प्रभावी नहीं हैं। ऐसे में असम और केरल जैसे दो अहम राज्य गंवाने के बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी के अंदर और बाहर, दोनों ही जगह कई तरह के सवालों का जवाब देना होगा।
इतिहास के सबसे बुरे दौर में कांग्रेस
दशकों तक देश पर राज करने वाली पार्टी 2014 के आम चुनाव में सीटों के मामले में तीन अंकों में भी नहीं पहुंच सकी। कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में महज 44 सीटें मिलीं। लोकसभा चुनाव के ठीक बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में हार का मुंह देखना पड़ा। इन सभी राज्यों में भाजपा ने परचम लहराया। इसके बाद, कांग्रेस के अंदर ही विरोध के सुर उठने लगे। इस बात में कोई आशंका नहीं कि ताजा नतीजों के बाद इन आवाजों को एक बार फिर ताकत मिलेगी। पार्टी के लिए अगली बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव होंगे। यहां 2017 में मतदान होना है।