Ashok Gehlot Sachin Pilot Dausa: पिछले कई सालों से अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई से जूझ रही राजस्थान कांग्रेस को आज बड़ी राहत मिल सकती है। सचिन पायलट के पिता और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर दौसा में एक कार्यक्रम में अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक ही मंच पर नजर आएंगे। इस वजह से राजस्थान और देश के तमाम राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें दौसा पर लगी हुई हैं।
कांग्रेस को उम्मीद है कि इस कार्यक्रम में यह दोनों नेता अपने गिले-शिकवे भुलाकर एक हो जाएंगे और इससे राज्य में संगठन को मजबूती मिलेगी।
याद दिलाना होगा कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को बहुमत मिला था। तब मुख्यमंत्री पद के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने थे। कांग्रेस नेतृत्व ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया था जबकि सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर थे। सरकार बनने के डेढ़ से 2 साल के भीतर ही सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों के साथ सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी।
जब चार साल बाद मिले अशोक गहलोत और सचिन पायलट
पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर के एक रिसॉर्ट में चले गए थे। तब कांग्रेस नेतृत्व को इस लड़ाई को सुलझाने में काफी मेहनत करनी पड़ी थी। इसका नतीजा यह हुआ था कि 2023 में कांग्रेस की राज्य की सत्ता से विदाई हो गई थी।
गहलोत से मिले थे पायलट
चुनाव हारने के बाद भी गहलोत और पायलट के सियासी रिश्ते कभी सामान्य होते नहीं दिखाई दिए। कुछ दिन पहले ही जब पायलट अशोक गहलोत से मिले और उन्हें अपने पिता की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया तो इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया।
गहलोत ने अपने X अकाउंट पर इस मुलाकात की जानकारी दी और कहा कि राजेश पायलट और वह 1980 में पहली बार एक साथ लोकसभा पहुंचे थे। सचिन पायलट ने भी गहलोत के साथ उनकी मुलाकात की फोटो X पर शेयर की थी। अगर सचिन पायलट और अशोक गहलोत कड़वी यादों को भुलाकर हाथ मिला लेते हैं तो राजस्थान की भयंकर गर्मी में यह कांग्रेस को शीतलता का अहसास करा सकती है।
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