राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच टकराव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों नेताओं के बीच विवाद का मुद्दा फिर गहराता जा रहा है। पार्टी के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने साफ तौर पर कहा है कि अगर सचिन पायलट को सीएम का चेहरा बनाया जाता है, तभी सरकार सत्ता में आ पाएगी। उन्होंने कहा, “यह राजस्थान के युवाओं और जनता की मांग है। और मैं फिर दोहराता हूं कि मैं उनके साथ खड़ा हूं। उनके बिना मैं निर्वाचित नहीं हो पाता।”
पिछले साल राहुल गांधी ने कराई थी सुलह
पिछले साल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के लिए कठोर शब्द बोलते हुए उन्हें पार्टी विरोधी कहा था। हालांकि तब राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दोनों नेताओं के बीच स्वयं राहुल गांधी ने सुलह कराई थी। तब कहा गया था कि अब दोनों नेता मिलकर राज्य में पार्टी को मजबूत करने में लगेंगे और उनके बीच कोई भी विवाद नहीं है। लेकिन यह सुलह कुछ ही दिन बाद खत्म होती नजर आई। अब दोनों नेता फिर एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर बोलने लगे हैं।
सोनिया गांधी के निर्देश नहीं मानने वालों पर हो कार्रवाई
इधर, सचिन पायलट ने बुधवार को कहा कि पिछले साल जयपुर में पार्टी विधायक दल (CLP) की बैठक में भाग नहीं लेकर तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश की ‘‘अवहेलना करने वाले’’ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में ‘‘अत्यधिक विलंब’’ हो रहा है तथा अगर राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा।
उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को चार महीने पहले दिए गए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में निर्णय लेने में ‘‘अप्रत्याशित विलंब’’ क्यों हो रहा है।
पायलट ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई थी। यह बैठक नहीं हो सकी। बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई।’’ उन्होंने कहा कि जो लोग बैठक नहीं होने देने और समानांतर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे उन्हें ‘‘प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता’’ के लिए नोटिस दिए गए थे।