2002 गुजरात दंगों में कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की मौत के बाद उनकी पत्नी जकिया जाफरी से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मिलना चाहती थीं। लेकिन उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था। यह दावा रिटायर्ड डीजीपी आरबी श्रीकुमार ने अपनी किताब- गुजरात: ‘बिहाइंड द कर्टेन’ में किया है। यह किताब पिछले सप्ताह की बाजार में आई है। आपको बता दें कि श्रीकुमार अप्रैल-सितंबर 2002 तक गुजरात इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ थे।
आरबी श्रीकुमार ने अपनी किताब में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर दंगा पीडि़तों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने का भी आरोप लगाया है। हालांकि, उन्होंने दंगों के दौरान बीजेपी और संघ परिवार की भूमिका की भी आलोचना की है। उन्होंने लिखा, ‘ जकिया से जाफरी से सोनिया गांधी की मुलाकात के बीच संभवत: कांग्रेस नेताओं की धर्मनिरपेक्षता और हिंदुओं के प्रति अतिसंवेदनशीलता आ गई थी।’
आपको बता दें कि श्रीकुमार गुजरात दंगों पर किताब लिखने वाले पहले ऐसे आईपीएस अफसर हैं, जो कि 2002 दंगों के दौरान गुजरात में तैनात थे। आरबी श्रीकुमार ने जस्टिस (रिटायर्ड) जीटी नानावती और जस्टिस (रिटायर्ड) अक्षय मेहता कमीशन में चार एफिडेविट फाइल किए थे। इनमें उन्होंने सरकारी एजेंसी और दंगाइयों के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया था। उनके खिलाफ गुजरात सरकार ने गुपचुप तरीके से ‘सीक्रेट डायरी’ बनाने का भी आरोप लगाया था। इसके अलावा उन पर यह भी आरोप था कि उन्होंने सरकार के गोपनीय दस्तावेज पैनल को मुहैया करा दिए थे, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में स्टे लगा दिया था।