Haryana Congress: आखिरकार हरियाणा में कांग्रेस ने अपने जिला अध्यक्षों का ऐलान कर ही दिया। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने मंगलवार रात को हरियाणा में पार्टी के जिला अध्यक्षों की सूची जारी की लेकिन ऐसा करने में पार्टी को 11 साल का लंबा वक्त लग गया।

हरियाणा में कुल 22 जिले हैं लेकिन कांग्रेस ने संगठन संचालन के लिहाज से प्रदेश को 33 जिला इकाइयाँ बनायी हैं। पार्टी ने अभी पानीपत ग्रामीण के जिला अध्यक्ष का नाम घोषित नहीं किया है।

हरियाणा कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद कुमारी सैलजा, राज्यसभा सांसद रणजीत सिंह सुरजेवाला के अपने गुट हैं। इन गुटों के बीच चल रही रस्साकशी की वजह से ही इतने सालों से संगठन खड़ा नहीं हो पाया था।

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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली थी हार

बीते साल अक्टूबर-नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जीत की उम्मीद के बाद भी हरियाणा में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था और इसके पीछे वजह गुटबाजी को ही माना गया था।

पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने जिन पर्यवेक्षकों को हरियाणा के जिलों में भेजा था उन्होंने तमाम लोगों से बातचीत कर नेताओं के नामों का पैनल तैयार किया था।

हुड्डा, सैलजा के समर्थकों को जगह

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा के वफादारों को ज्यादा अहमियत दी है। यह भी बताना होगा कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव बदलाव किया है। अब इन नियुक्तियों में आलाकमान का दखल ज्यादा है।

पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के पोते और क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को भिवानी ग्रामीण का जिला अध्यक्ष बनाया गया है जबकि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से चुनाव हारने वाले पूर्व विधायक मेवा सिंह को कुरुक्षेत्र जिले में अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है।

बताया जा रहा है कि 32 जिला अध्यक्षों में अधिकतर नेता ऐसे हैं जिन्हें भूपेंद्र सिंह हुड्डा का और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी माना जाता है। कुछ जिलों में कुमारी सैलजा, सुरजेवाला और कैप्टन अजय सिंह यादव के समर्थकों को अध्यक्ष पद की कमान दी गई है।

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हरियाणा कांग्रेस में है हुड्डा का दबदबा

हुड्डा को हरियाणा कांग्रेस में सबसे दिग्गज नेता माना जाता है। हरियाणा में 2005 से 2014 तक चली कांग्रेस की सरकार के मुखिया भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही थे लेकिन 2014, 2019 और 2024 में कांग्रेस को हार मिली। इसके बाद भी हुड्डा का दबदबा साफ दिखाई देता है।

विधानसभा चुनाव के नतीजों के 9 महीने बाद भी कांग्रेस हरियाणा में नेता विपक्ष का चयन नहीं कर पाई है और इसके पीछे यह माना जाता है कि हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके समर्थकों को नजर अंदाज कर पाना पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए आसान नहीं है। रोहतक, सोनीपत, झज्जर, भिवानी, जींद के जाट लैंड में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का बड़ा असर है। बीजेपी ने चुनाव जीतने के बाद गैर जाट समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी को फिर से मुख्यमंत्री बनाया था।

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